स्विस बैंकों के रहस्य (व्यंग्य)

By विजय कुमार | Jul 05, 2018

शर्मा जी बड़े आदमी हैं। इसलिए वे दूसरों के यहां नहीं जाते। उनकी मान्यता है कि बड़ा आदमी कहीं क्यों जाए ? अगर वो हर किसी के पास जाने लगा, तो फिर वह भी अरविंद केजरीवाल की तरह आम आदमी हो जाएगा। इसलिए वे सुबह दस बजे खा-पीकर लोगों से मिलने के लिए बाहरी कमरे में बैठ जाते हैं। इसे वे दरबार कहते हैं। 

 

यद्यपि उनके पास वही लोग आते हैं, जो उन जैसे खाली या बेकार हों। इससे शर्मा जी का टाइम कट जाता है और आने वालों का भी। एक अखबार शर्मा जी के घर आता है। कुछ अखबार आने वाले साथ ले आते हैं। इस तरह पढ़ते-पढ़ाते और खबरों को चबाते हुए दो बज जाते हैं। यह शर्मा जी के भोजन और विश्राम का समय है। अतः वे दरबार से उठ जाते हैं। यही क्रम शाम को पांच से सात बजे तक फिर चलता है। 

 

शर्मा जी से मेरी मित्रता पिछली शताब्दी से ही है। इसलिए मैं हर समय उनके घर जा सकता हूं। मेरी पहुंच घर के अंदर तक है। दरबार में आने वालों को भले ही पानी तक न मिले; पर मुझे शर्मा मैडम के हाथ की गरम चाय जरूर मिल जाती है। कल मैं दरबार में पहुंचा, तो शर्मा जी इतने तन्मय होकर अखबार देख रहे थे, मानो उसके प्रूफ पढ़ रहे हों। मैं भी चुपचाप बैठ गया। दस मिनट बाद उनकी एकाग्रता भंग हुई।

 

- वाह, अब तो हमारा देश भी आगे बढ़ने लगा है।

 

- शर्मा जी, जिस दिन मैंने नाश्ता ठीक से न किया हो, उस दिन मजाक से मेरे पेट में दर्द होने लगता है।

 

शर्मा जी ने मेरा इशारा समझ कर अंदर आवाज दी। थोड़ी ही देर में चाय के साथ कुछ ठोसाहार भी आ गया। इससे बात का क्रम चल पड़ा। थोड़ी देर में कुछ लोग और भी आ गये।

 

- देखा वर्मा, स्विस बैंकों में भारत के धनपतियों का पैसा डेढ़ गुना हो गया। यह मोदी जी की नीतियों का सुपरिणाम है। चुनाव के समय उन्होंने कहा था कि विदेश से काला धन वापस लाएंगे; पर अब तो धन और तेजी से बाहर जा रहा है।

 

- लेकिन कई अखबारों में छपा है कि वहां जमा सारा धन काला नहीं होता। और मैंने ये भी सुना है कि स्विस बैंक वाले अपने खातों की जानकारी भगवान को भी नहीं देते। पिछले 250 साल से यही उनकी सफलता का राज है। वहां नाम और पते की बजाय सारा काम कुछ विशेष नंबरों और पासवर्ड से होता है। दो नंबर का काम करने वाले लोग कई बार इनकी जानकारी किसी और को दिये बिना मर जाते हैं। ऐसे में सारा धन बैंक का और कुछ साल बाद वहां की सरकार का हो जाता है। ऐसे बैंक कई देशों में हैं; पर प्रसिद्धि स्विट्जरलैंड की अधिक है। 

 

- लगता है तुम्हारा भी कोई खाता वहां है ?

 

- शर्मा जी, हमारे ऐसे भाग्य कहां.. ? ये किस्मत तो उन खानदानी राजनेताओं ने ही पायी है, जिन्होंने भारत पर पचासों साल राज किया है। ऐसे खातों के संचालन के लिए ही उन्हें बार-बार गुप्त यात्राओं पर विदेश जाना पड़ता है।

 

- तुम बात को टेढ़ा कर रहे हो वर्मा। मैं कह रहा हूं कि स्विस बैंकों में भारतीयों का धन डेढ़ गुना हो गया है।

 

- और मैं भी ये कह रहा हूं कि इन गुप्त बैंकों ने ये जानकारी लीक क्यों की; और ये सच है या झूठ, इसका क्या प्रमाण है ?

 

- यानि इसमें भी कुछ रहस्य है ?

 

- बिल्कुल। शर्मा जी, लोकसभा के चुनाव सिर पर आ गये हैं। मोदी सरकार को बदनाम करने के षड्यंत्र अंदर ही नहीं, बाहर भी चल रहे हैं। ये खबर उसी का हिस्सा है। असल में नोटबंदी और जी.एस.टी. के बाद टैक्स चोरी मुश्किल हो गयी है। इसलिए कुछ लोग अपना धन बाहर ले जा रहे हैं; पर आप चिन्ता न करें। 2019 का चुनाव हो जाने दो। फिर ये लोग और उनके राजनीतिक आका भी बचेंगे नहीं। बकरे की अम्मा ज्यादा दिन खैर नहीं मना सकती।

 

शर्मा जी का मूड ऑफ हो गया। उन्होंने दरबार समेटने की घोषणा कर दी। 

 

-विजय कुमार

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