By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 30, 2020
नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि कि बोडो समूहों के साथ हुए समझौते ने असम में एकता और अखंडता की भावना को और मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि असम में पिछले पांच दशकों से चली आ रही समस्या का महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर समाधान होने से क्षेत्र के विकास का नाम प्रशस्त होगा। प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब एनडीएफबी के तीन गुटों के 1615 कार्यकर्ताओं ने गुवाहाटी में असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल और वित्त मंत्री हेमंत बिस्व सरमा के समक्ष हथियार डाले। इससे तीन दिन पहले ही केंद्र एवं असम सरकार ने बोडो संगठन एनडीएफबी और आल बोडो स्टुडेंट यूनियन के साथ शांति समझौते पर हस्तक्षर किया था।
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प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘‘पूज्य बापू की पुण्यतिथि पर आज असम में पांच दशकों से चली आ रही समस्या का समाधान हुआ है। बोडो संगठनों और सरकार के बीच हुए समझौते ने असम की एकता-अखंडता को और मजबूत किया है।’’ उन्होंने कहा कि हिंसा छोड़कर, लोकतंत्र और संविधान में आस्था जताने के लिए वह अपने बोडो साथियों के निर्णय का स्वागत करते हैं। मोदी ने कहा कि बोडो संगठनों से ऐतिहासिक समझौते के बाद अब सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बोडो क्षेत्रों का विकास है। इसके लिए 1500 करोड़ रुपये के पैकेज पर जल्द कार्य शुरू करवाया जाएगा।
उन्होंने कहा किह बोडो साथियों का जीवन आसान बने, उन्हें सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ मिले, इस पर विशेष जोर दिया जाएगा।प्रधानमंत्री ने कहा कि बोडो साथियों के साथ समझौता असम के अन्य समुदायों के हितों की रक्षा करते हुए किया गया है। इसमें सभी की जीत हुई है, मानवता की जीत हुई है। उन्होंने कहा कि ये जीत और उसके लिए हुए प्रयास सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र से प्रेरित हैं, एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना से प्रेरित हैं।
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उन्होंने कहा, ‘‘ बोडो साथियों द्वारा शांति का मार्ग अपनाना, हर क्षेत्र के लिए संदेश है। हिंसा छोड़कर, लोकतंत्र एवं संविधान में आस्था से ही सारी समस्याओं का समाधान संभव है। मैं बोडो साथियों का विकास की मुख्यधारा में स्वागत करता हूं। सरकार बोडो क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।’’ मोदी ने कहा कि बोडो संगठनों के साथ हुआ समझौता, असम के साथ ही देश के अन्य हिंसा प्रभावित क्षेत्रों के लिए भी एक संदेश है। उन्होंने कहा कि हिंसा और भय से मुक्त वातावरण में ही देश के विकास को गति दी जा सकती है।
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