Boris Johnson ने संसद को गुमराह करने की बात मानी, लेकिन कहा-ऐसा अनजाने में हुआ

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 21, 2023

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने मंगलवार को स्वीकार किया कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान सरकारी कार्यालयों में नियमों के खिलाफ पार्टी आयोजित करने के मामले में उन्होंने संसद को गुमराह किया लेकिन जोर दिया कि ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया था। कोविड-19 लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में पार्टी आयोजित करने के संबंध में उन्हें सांसदों के सवालों का सामना करना होगा कि क्या उन्होंने नियमों को तोड़ने पर झूठ बोला।

अगर यह पाया गया कि उन्होंने जानबूझकर झूठ बोला था तो उन्हें निलंबित किया जा सकता है या संसद की सदस्यता भी जा सकती है। ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ की विशेषाधिकार समिति को लिखित जवाब में, जॉनसन ने स्वीकार किया कि ‘‘संसद में मेरा बयान कि हर समय नियमों और परामर्श का पालन किया गया था, सही नहीं निकला।’’ लेकिन जॉनसन ने कहा कि उनके बयान ‘‘नेकनीयती से दिए गए थे और उस समय जो मैं ईमानदारी से जानता था और उस पर विश्वास करता था...।

मैंने जानबूझकर सदन को गुमराह नहीं किया।’’ समिति बुधवार दोपहर को ‘‘पार्टीगेट’’ के बारे में जॉनसन से व्यक्तिगत रूप से पूछताछ करेगी जब 2020 और 2021 में सरकारी कार्यालयों में जमावड़े से महामारी प्रतिबंधों का उल्लंघन किया गया। पुलिस ने देर रात आयोजित पार्टी के संबंध में 126 जुर्माने लगाए। पार्टी के दौरान शराब भी परोसी गई थी। वर्ष 2021 की शुरुआत में जब पार्टी आयोजन के संबंध में खबरें आई थीं तो जॉनसन ने कहा था कि नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ। बाद में उन्होंने माफी मांगी और कहा कि वह ‘‘गलत फैसले’’ के शिकार हुए लेकिन जोर दिया कि वह काम से जुड़े आयोजन में शरीक हुए थे ना कि पार्टी में। जॉनसन के वकीलों का कहना है कि समिति को यह दिखाना होगा कि जॉनसन का इरादा सदन को गुमराह करना था।

प्रमुख खबरें

Travel Tips: पार्टनर के साथ बना रहे पेरिस घूमने का प्लान तो ऐसे प्लान करें ट्रिप, कम खर्चे में कर सकेंगे ढेर सारी मस्ती

Artificial general Intelligence क्या है, जानें लोग क्यों इससे डरे हुए हैं?

अखिलेश-डिंपल की बेटी में लोगों को दिखी नेताजी की छवि, मैनपुरी में मां के लिए अदिति ने किया खूब प्रचार

US के होटल में मीटिंग, आतंकी भुल्लर की रिहाई का वादा, 134 करोड़ की खालिस्तानी फंडिंग, अब कौन सी बड़ी मुसीबत में फंसे केजरीवाल?