By अनन्या मिश्रा | Oct 06, 2025
करवाचौथ का पर्व हर विवाहित महिला के लिए काफी खास होता है। इसदिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए पूरा दिन निर्जला व्रत करता हैं। वहीं शाम को चंद्रमा निकलने पर विधिविधान से पूजा-अर्चना करती हैं। करवा चौथ का व्रत न सिर्फ एक धार्मिक परंपरा है बल्कि पति-पत्नी के अटूट प्रेम और समर्पण का भी प्रतीक माना जाता है। हालांकि करवा चौथ व्रत को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं, ऐसे में इन नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है। इसलिए आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको करवा चौथ से जुड़ी कुछ प्रमुख बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।
बता दें कि करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से पहले खाई जाने वाली सरगी के बाद शुरू होता है। फिर चांद निकलने के बाद व्रत खोला जाता है। इस दौरान पानी भी नहीं पिया जाता है। वहीं अगर कोई महिला गलती से इस दिन व्रत में भोजन या पानी का सेवन कर लेती है, तो उसका व्रत खंडित हो जाता है।
करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोला जाता है। लेकिन अगर आप किसी कारणवश चंद्रमा निकलने से पहले व्रत खोल लेती हैं, तो व्रत का फल नहीं मिलता है। इसलिए चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोलना चाहिए।
इस दिन कैंची, सुई और चाकू जैसी धारदार वस्तुओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से व्रत का फल कम हो जाता है। साथ ही यह अशुभ भी माना जाता है। इसलिए करवाचौथ के दिन कढ़ाई-सिलाई जैसे कामों को करने से बचना चाहिए।
करवा चौथ के व्रत में दिन में या फिर दोपहर में सोने से बचना चाहिए। धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक व्रत में दिन में सोना वर्जित माना जाता है, ऐसा करने से व्रत का फल नहीं मिलता है। व्रत के दौरान मन और शरीर को भगवान के प्रति समर्पित रखना चाहिए।
करवा चौथ का व्रत प्यार और समर्पण का प्रतीक होता है। इसलिए इस दिन अपने जीवनसाथी या फिर किसी बड़े-बुजुर्ग का अपमान नहीं करना चाहिए। व्रत के दौरान अपशब्द, लड़ाई-झगड़ा और क्रोध आदि करने से बचना चाहिए।
हालांकि करवा चौथ पर सुहागिन महिलाओं द्वारा सुहाग की सामग्री का दान करना शुभ माना जाता है। लेकिन अपनी सुहाग की सामग्री गलती से भी नहीं दान करना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है और माना जाता है कि इससे सौभाग्य कम होता है।