By नीरज कुमार दुबे | Jul 13, 2024
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों से पहले मोदी सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए उपराज्यपाल की शक्तियों में इजाफा कर दिया है। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के पास अब दिल्ली के उपराज्यपाल जैसी शक्तियां हो गयी हैं यानि जैसे दिल्ली की सरकार बिना एलजी की अनुमति के अधिकारियों की नियुक्ति या तबादला नहीं कर सकती या अन्य कोई बड़ा फैसला नहीं कर सकती वैसे ही जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के बाद बनने वाली नई सरकार भी उपराज्यपाल की अनुमति के बिना अधिकारियों की नियुक्ति या तबादले नहीं कर पायेगी।
इस घटनाक्रम को लेकर जम्मू-कश्मीर की राजनीति गर्मा गयी है। जहां भाजपा ने इस फैसले का स्वागत किया है वहीं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि केंद्र सरकार का यह फैसला दर्शाता है कि जम्मू-कश्मीर में जल्द ही चुनाव कराये जायेंगे। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि जम्मू-कश्मीर के लोग रबर स्टांप मुख्यमंत्री नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि इसीलिए हम जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं ताकि नई सरकार के मुख्यमंत्री के पास अधिकार हों। उन्होंने कहा कि एलजी को ताकतवर बनाये जाने से मुख्यमंत्री को अपने चपरासी की नियुक्ति के लिए भी उपराज्यपाल के आगे हाथ फैलाना पड़ेगा।
जहां तक केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना की बात है तो उसके मुताबिक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का गठन होने के बाद भी पुलिस, लोक व्यवस्था, भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो और अखिल भारतीय सेवा से संबंधित अंतिम फैसला लेने का अधिकार उपराज्यपाल के पास ही होगा। हम आपको बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर संघ राज्यक्षेत्र सरकार, कार्य संचालन नियम, 2019 में संशोधन कर उपरोक्त अधिकार व शक्तियां उपराज्यपाल को दी हैं। हम आपको बता दें कि जब 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख का स्वरूप प्रदान किया था उस समय जम्मू-कश्मीर संघ राज्यक्षेत्र सरकार, कार्य संचालन नियम बनाया गया था। अब इसमें संशोधन कर उपराज्यपाल को ऐसी शक्तियां प्रदान की गयी हैं जोकि उसे नई बनने वाली सरकार से ज्यादा शक्तिशाली बनाए रखेंगी।
केंद्र सरकार ने 2019 के कानून में जो प्रमुख संशोधन किये हैं वह इस प्रकार हैं-
- महाधिवक्ता और न्यायालय की कार्यवाहियों में महाधिवक्ता की सहायता करने के लिए अन्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति के प्रस्ताव को विधि, न्याय और संसदीय कार्य विभाग द्वारा मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के माध्यम से ही उपराज्यपाल के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करना होगा।
- अभियोजन स्वीकृति देने, अस्वीकार करने या अपील दायर करने के संबंध में कोई भी प्रस्ताव विधि, न्याय और संसदीय कार्य विभाग द्वारा मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
- कारागार, अभियोजन निदेशालय और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के संबंध में प्रस्ताव भी मुख्य सचिव के माध्यम से गृह विभाग के प्रशासनिक सचिव द्वारा उपराज्यपाल को प्रस्तुत किए जाएंगे।
- केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि प्रशासनिक सचिवों, अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों की नियुक्तियों व स्थानांतरण तथा अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों के संवर्ग पदों से संबंधित विषयों के संबंध में सभी प्रस्ताव महाप्रशासनिक विभाग के प्रशासनिक सचिव को मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल को प्रस्तुत किए जाएंगे। अधिसूचना में कहा गया है कि ऐसे किसी प्रस्ताव पर तब तक सहमति नहीं दी जाएगी या अस्वीकार नहीं किया जाएगा, जब तक कि उसे मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष नहीं रखा गया है।
बहरहाल, हम आपको बता दें कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में 30 सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव कराये जाने हैं। इस समय जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा का संचालन हो रहा है। माना जा रहा है कि यात्रा समापन के बाद कभी भी चुनाव कराये जा सकते हैं। चुनाव आयोग ने इस संबंध में अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।