येदियुरप्पा सरकार के भाग्य का फैसला आज, SC में दोनों पक्षों की ओर से जोरदार दलीलें

By नीरज कुमार दुबे | May 18, 2018

उच्चतम न्यायालय के बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की अनुमति देने से कर्नाटक संकट पर कानूनी लड़ाई का पहला दौर भले ही भाजपा के पक्ष में गया हो, लेकिन आज अदालत में येदियुरप्पा सरकार का भाग्य तय हो सकता है। येदियुरप्पा को समर्थन की चिट्ठी पर आज न्यायालय में मंथन हो रहा है जिस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं। येदियुरप्पा की ओर से उच्चतम न्यायालय में वह पत्र पेश किये गये जो उन्होंने कर्नाटक में सरकार बनाने का दावा पेश करते हुए राज्यपाल को लिखे थे।

इस मामले की सुनवाई के लिए भाजपा की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी, कांग्रेस की ओर से पी. चिदम्बरम, अभिषेक मनु सिंघवी और सरकार की ओर से अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल न्यायालय पहुँच चुके हैं। वरिष्ठ वकील शांति भूषण भी अदालत पहुँचे हैं।

 

न्यायालय ने दलीलें सुनते हुए टिप्पणी की कि अच्छा रहेगा कि कल ही बहुमत का परीक्षण हो जाये। इससे पहले रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल ने अपने विवेक के आधार पर भाजपा नेता को सरकार बनाने का न्यौता दिया। 

 

उच्चतम न्यायालय ने येदियुरप्पा के वकील मुकुल रोहतगी से कांग्रेस-जद (एस) का प्रतिनिधित्व कर रहे वकीलों को पत्र की प्रतियां मुहैया कराने को कहा। येदियुरप्पा ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन एक ''नापाक’’ गठबंधन है। येदियुरप्पा ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि कर्नाटक की जनता ने सत्तारूढ़ दल कांग्रेस को पदच्युत कर दिया है और अकेले सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी पार्टी ही जनादेश है। येदियुरप्पा ने उच्चतम न्यायालय को उस पत्र के बारे में बताया जो उन्होंने 16 मई को राज्यपाल को भेजा था और जिसमें कहा था कि भाजपा को अन्य का समर्थन हासिल है और वह ''स्थिर सरकार’’ देगी।

 

इस बीच मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस सीकरी ने दो सुझाव दिये। पहला यह कि येदियुरप्पा की शपथ ग्रहण की समीक्षा हो और दूसरा यह कि 24 घंटे के भीतर बहुमत साबित करें। उन्होंने यह भी कहा कि कर्नाटक डीजीपी को सुरक्षा के इंतजाम के लिए कहा जायेगा।

 

उल्लेखनीय है कि कर्नाटक के राज्यपाल ने येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हुए उन्हें 15 दिन में बहुमत साबित करने का निर्देश दिया जिसके बाद गुरुवार सुबह उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी गयी। विधानसभा चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है लेकिन उसके पास बहुमत से 7 विधायक कम हैं। दूसरी ओर कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर ने गठबंधन बनाकर अपने पास बहुमत होने का दावा किया है।

 

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