Prabhasakshi NewsRoom: LAC के निकट रेल लाइन बिछाएगा चीन, भारत-नेपाल सीमा से होकर गुजरेगी ड्रैगन की ट्रेन

By नीरज कुमार दुबे | Feb 20, 2023

भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव को बढ़ाने के मकसद से ड्रैगन तमाम तरह के हथकंडे अपनाता रहता है। लेकिन भारत भी चीन की हर चाल का मुंहतोड़ जवाब देने का सिलसिला बनाये हुए है। खबर है कि चीन सीमा के आसपास बुनियादी ढांचे को और मजबूत बनाने की योजना बना रहा है। बताया जा रहा है कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा यानि एलएसी के पास एक नई रेलवे लाइन का निर्माण शुरू कर रहा है। तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नई रेल लाइन एलएसी के पास और विवादित अक्साई चिन क्षेत्र से होकर गुजरेगी। यह रेल मार्ग भारत और नेपाल से लगी चीन की सीमाओं तक नए मार्गों को कवर करेगा। बताया जा रहा है कि शिगात्से से पखुक्त्सो तक रेल लाइन का पहला खंड 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। होटन में समाप्त होने वाली शेष लाइन खंड 2035 तक पूरा होने की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि यह नई रेल लाइन तिब्बत के शिगात्से से शुरू होकर उत्तर-पश्चिम में नेपाल सीमा के पास से गुजरेगी। इसके बाद यह अक्साई चिन के उत्तर से होते झिंजियांग के होतान में समाप्त होगी। बताया जा रहा है कि यह प्रस्तावित रेल लाइन वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चीन के कब्जे वाले रुतोग और पैंगोंग झील के पास से होकर भी गुजरेगी। 


दूसरी ओर, सुरक्षा विश्लेषक प्रफुल्ल बख्शी का कहना है कि चीन रणनीतिक परियोजनाओं के जरिये अपनी सेना को जल्द से जल्द जुटाने की योजना बनाता रहता है। हालांकि, एलएसी पर अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में भारत किसी भी मायने में चीन से पीछे नहीं है। विशेष रूप से, हाल ही में मोदी कैबिनेट ने चीन सीमा के लिए 9,000 और ITBP सैनिकों को शामिल करने की मंजूरी दी है। इसके अलावा वायुसेना के पूर्व अधिकारी एसपी सिंह ने कहा है कि चीन की हरकतों को देखते हुए भारत सरकार बहुत गंभीरता के साथ कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों में सभी मौसम में संपर्क की सुविधा के लिए 'शिंकुन ला टनल' के निर्माण को भी मंजूरी दे दी है।

इसे भी पढ़ें: China के निशाने पर अब 10 लाख तिब्बती बच्चे, तिब्बतियों की संस्कृति और धर्म को मिटाने पर तुला हुआ है ड्रैगन

हम आपको बता दें कि भारत भी अपनी सीमाओं पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में जरा भी पीछे नहीं है। आंकड़े उठा कर देखेंगे तो पाएंगे कि हाल के वर्षों में सीमाओं को सुरक्षित बनाने के लिए विश्वभर में सर्वाधिक प्रयास भारत ने ही किये हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश के सामरिक महत्व के उत्तरी सीमावर्ती इलाकों के विकास के लिए पूरी तरह केंद्र सरकार के खर्चे पर आधारित ‘‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’’ को मंजूरी भी प्रदान कर दी है जोकि सिर्फ सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत नहीं करेगा बल्कि सीमाओं पर स्थित भारत के पहले गांवों और ग्रामवासियों की तकदीर भी बदल देगा। 


जहां तक शिंकुन ला सुरंग की बात है तो आपको बता दें कि निमू-पदम-दरचा सड़क सम्पर्क पर 4.1 किलोमीटर लम्बी शिंकुन ला सुरंग के निर्माण को मोदी सरकार की ओर से मंजूरी प्रदान की गयी है। यह सुरंग सभी मौसमों में लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों के लिये सम्पर्क प्रदान करेगी।सुरंग के निर्माण का कार्य दिसंबर 2025 तक पूरा हो जायेगा और इस पर 1681 करोड़ रूपये की लागत आयेगी। इस सुरंग की लम्बाई 4.1 किलोमीटर होगी और यह सभी मौसमों में लद्दाख के लिये सड़क सम्पर्क को सुगम बनायेगी। यह इस केंद्र शासित प्रदेश के सीमावर्ती इलाके तक जाने के लिए सबसे छोटा रास्ता होगा। यह परियोजना सुरक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है और इससे सुरक्षा बलों को इन इलाकों तक पहुंचने में सहूलियत होगी। साथ ही, चीन से चल रहे तनाव के बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह ही भारत-चीन सीमा की सुरक्षा करने वाली भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की सात नयी बटालियन और एक क्षेत्रीय हेडक्वार्टर के गठन को भी मंजूरी प्रदान की है।

प्रमुख खबरें

Shah ने BJP और उसके छद्म सहयोगियों को नेशनल कॉन्फ्रेंस को हराने का निर्देश दिया: Omar

विपक्षी दलों के नेताओं को जेल भेजने में Congress अव्वल : Chief Minister Mohan Yadav

Manoj Tiwari ने मुझ पर हमला कराया क्योंकि लोग अब उन्हें स्वीकार नहीं कर रहे हैं: Kanhaiya

Shakti Yojana से Metro को नुकसान होने संबंधी प्रधानमंत्री की टिप्पणी से हैरान हूं: Shivkumar