By अभिनय आकाश | May 31, 2025
दुनिया की खुफिया संगठनों का जिक्र जब कभी भी होता है तो अमेरिका की सीआईए, भारत की रिसर्च एंड एनलिसिस विंग (रॉ) और इजरायल की मोसाद का नाम प्रमुखता से आता है। वहीं सोवियत यूनियन की खुफिया एजेंसी केजीबी अब रूस की एफएसबी बन गई है। लेकिन चीन का नाम आते ही लोग सोच में पड़ जाएंगे। किसी ने शायद ध्यान ही नहीं दिया होगा कि चीन की सीक्रेट एजेंसी का क्या नाम है? वैसे भी चीन की खुफिया एजेंसी के बारे में विरले की कभी चर्चा होती है। शायद यही कारण है कि चीन की खुफिया एजेंसी बेहद खतरनाक बन गई है। चीन की खुफिया एजेंसी की चर्चा इसलिए भी तेज हो चली है क्योंकि भारत सरकार ने सीसीटीवी कैमरों को लेकर एक आदेश जारी किया है, जिसने चीन की खतरनाक चाल को दुनिया के सामने ला दिया है।
चीन की खुफिया एजेंसी
चीन की मुख्य जासूसी एजेंसी, मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (MSS), अब दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे सक्रिय जासूसी एजेंसी है। एमएसएस की स्थापना 1983 में हुई थी। यह पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सुरक्षा सेवा है, जो विदेशी खुफिया जानकारी, प्रति-खुफिया और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की राजनीतिक सुरक्षा और सम्मान की रक्षा के लिए जिम्मेदार है।
किस तरह से काम करती है एमएसएस
सीबीएस की एक रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि चीन की खुफिया एजेंसी ने अपने ऑपरेशन को पारंपरिक जासूसी से कहीं आगे तक फैला दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एजेंसी न केवल राज्य के रहस्यों को निशाना बना रही है, बल्कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के आलोचकों को चुप कराने के साथ-साथ कथात्मक रूप देने और तकनीक चुराने का भी काम कर रही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एजेंसी अपने एजेंडे के प्रचार-प्रसार के लिए दुनिया भर के शिक्षा जगत, व्यवसाय जगत और विभिन्न स्थानीय सरकारों से लोगों की भर्ती कर रही है।
चीन की खुफिया एजेंसी का टारगेट कौन
सीबीएस के साथ बातचीत में पूर्व अमेरिकी राजनयिक जिम लुईस, जिन्हें चीनी खुफिया जानकारी का मुकाबला करने का तीस साल से अधिक का अनुभव है, ने कहा कि चीनी खुफिया एजेंसी का सबसे बड़ा लक्ष्य कोई विदेशी सरकार नहीं, बल्कि विदेश में रहने वाले उसके अपने नागरिक हैं। विदेश में चीनी नागरिक राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शासन के लिए एक अनूठी संवेदनशील चुनौती का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे किसी शत्रुतापूर्ण विदेशी शक्ति के एजेंट हो सकते हैं, या वे ऐसी सच्चाई को उजागर कर सकते हैं जिसे शी जिनपिंग नहीं चाहते कि वे जानें। एमएसएस के लिए, वे जरूरी नहीं कि सीधे तौर पर खतरा हों, बल्कि एक जोखिम हैं जिसका प्रबंधन किया जाना चाहिए।
भारत ने सॉफ्टवेयर-हार्डवेयर टेस्टिंग की अनिवार्य
चीन की कंपनियां भी भारत की जासूसी कर रही हैं। चीनी गैजेट्स लगातार भारतीयों के च्वाइसेस और बिहेवियर पर नजर रखते हैं। ये गैजेट्स जानकारी जुटाते हैं कि भारत के लोगों की पसंद क्या है और नापसंद क्या है। इसके बाज लोगों का ब्रेनवॉश शुरू किया जाता है। चीन से बढ़ते जासूसी खतरों के बीच भारत सरकार ने इंटरनेट आधारित सीसीटीवी कैमरों के नियमों में अहम बदलाव किए हैं। इसके तहत सीसीटीवी कैमरा निर्माताओं को हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और सोर्स कोड सरकारी लैब में परीक्षण के लिए जमा कराने होंगे।
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