राष्ट्रमंडल खेल 2030 और बुलेट ट्रेन... यानि गुजरात में फिर से भाजपा जीतेगी

By नीरज कुमार दुबे | Nov 27, 2025

2030 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों (कॉमनवेल्थ गेम्स) की मेजबानी अहमदाबाद को आधिकारिक रूप से सौंप दी गई है जिससे गुजरात की और तेज तरक्की का मार्ग प्रशस्त हो गया है। हम आपको बता दें कि अब अहमदाबाद-गांधीनगर क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की रफ्तार तेज होगी। कॉमनवेल्थ स्पोर्ट जनरल असेंबली से मंजूरी के बाद गुजरात सरकार ने घोषणा की है कि सरदार वल्लभभाई पटेल स्पोर्ट्स एन्क्लेव और करई पुलिस अकादमी स्पोर्ट्स हब का निर्माण अप्रैल 2026 में शुरू होकर 2028–29 में पूरा होगा। हम आपको यह भी याद दिला दें कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूरत में मुंबई–अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर की प्रगति की समीक्षा करते हुए इसे देश के भविष्य का परिवर्तनकारी मॉडल बताया था। देखा जाये तो राष्ट्रमंडल खेल और बुलेट ट्रेन, दोनों बड़े प्रोजेक्ट मिलकर गुजरात को एक नई पहचान देने जा रहे हैं और साथ ही यह 2027 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत को भी लगभग सुनिश्चित करेंगे।


आज गुजरात एक बार फिर परिवर्तन के निर्णायक मोड़ पर खड़ा है और इस बार यह परिवर्तन न केवल आर्थिक या विकास का है, बल्कि राजनीतिक भविष्य का भी निर्धारक है। अहमदाबाद में 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी और मुंबई–अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर की तेज़ी से हो रही प्रगति ने गुजरात को वैश्विक मानचित्र पर नए अवतार में पेश करना शुरू कर दिया है। यह वही गुजरात है जिसने 2001–2014 के बीच विकास के जो बीज बोए थे, वे अब अंतरराष्ट्रीय रूप लेकर सामने आ रहे हैं।

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कॉमनवेल्थ गेम्स के गुजरात में होने का मतलब है राज्य की खेल अधोसंरचना का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकास होगा, युवा खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण मिलेगा, राज्य की वैश्विक ब्रांडिंग होगी और आने वाले दशक में गुजरात को भारत की खेल राजधानी (Sports Capital of India) बनाने की तैयारी भी साफ दिखाई दे रही है। सरदार वल्लभभाई पटेल स्पोर्ट्स एन्क्लेव, करई पुलिस अकादमी स्पोर्ट्स हब, नए एथलीट विलेज, हाई-परफॉर्मेंस लैब, विश्वविद्यालय आधारित स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर, ये सब गुजरात को 2030 के बाद भी स्थायी लाभ देंगे। यह वही विरासत मॉडल है जिसने लंदन 2012 और बर्मिंघम 2022 को बदल दिया। अब यही मॉडल गुजरात में दिखेगा।


हम आपको बता दें कि राष्ट्रमंडल खेलों की वजह से गुजरात में 20,000 से ज्यादा होटल कमरों की मांग, नए स्टार्टअप, पर्यटन में उछाल और 30,000 से ज्यादा नौकरियाँ बनेंगी। यह सिर्फ खेल नहीं बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था का पुनर्निर्माण है। कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग लेने जब पूरी दुनिया के लोग अहमदाबाद आयेंगे तो वह बाजारों से खरीदारी भी करेंगे, घूमने के लिए राज्य के विभिन्न इलाकों में भी जाएंगे जिससे गुजरात के कारोबारियों को बड़ी कमाई होना तय है।


इसके साथ-साथ प्रधानमंत्री द्वारा सूरत में बुलेट ट्रेन स्टेशन का निरीक्षण गुजरात के तेज़ी से बदलते परिवहन ढांचे की झलक है। 508 किलोमीटर के इस कॉरिडोर ने गुजरात को देश का पहला हाई-स्पीड रेल राज्य बनाने की तैयारी पूरी कर दी है। हम आपको बता दें कि 85% से अधिक मार्ग वायाडक्ट पर है, 17 नदी पुल तैयार हैं, सूरत–बिलिमोरा सेक्शन लगभग पूरा हो गया है और 2026 तक दो गुना क्षमता वाला SVPI एयरपोर्ट बन जायेगा। जब मुंबई–अहमदाबाद का सफर 2 घंटे में तय होगा, तब गुजरात सिर्फ एक राज्य नहीं रहेगा बल्कि भारत का व्यापारिक हाई-स्पीड कॉरिडोर बन जाएगा। और यही वह बिंदु है जहाँ विकास राजनीति से मिलता है। 2027 में गुजरात विधानसभा चुनाव होंगे। जनता देखेगी कि किसके पास है एजेंडा? कौन दे सकता है भविष्य की तस्वीर? और कौन दिखा सकता है कि गुजरात सिर्फ विस्तार नहीं, बल्कि दुनिया के सामने एक ‘मॉडल स्टेट’ है? यहाँ भाजपा की स्थिति और मजबूत हो जाती है।


कॉमनवेल्थ गेम्स और बुलेट ट्रेन, ये दोनों प्रोजेक्ट सिर्फ विकास नहीं, भावना और आकांक्षा के भी प्रतीक हैं। गुजरात का युवा इससे अपने भविष्य को जोड़ चुका है। खेल में अवसर, नौकरी में वृद्धि और तकनीकी अधोसंरचना का नया युग आने वाले हैं। राजनीतिक दृष्टि से भाजपा ने 2027 की चुनावी पिच पर दो बड़े “विकास–सिक्सर” पहले ही जड़ दिए हैं। एक तरफ अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन की चमक, दूसरी तरफ बुलेट ट्रेन का आधुनिक भारत। यह पूरा नैरेटिव भाजपा के पक्ष में एकतरफा वातावरण बनाता है। विपक्ष भले ही अपने मुद्दे तलाश रहा हो, लेकिन उसके पास इस स्तर का कोई प्रतिविकल्पी विकास मॉडल नहीं है।


इसलिए निष्कर्ष अत्यंत स्पष्ट है। 2030 के कॉमनवेल्थ गेम्स और बुलेट ट्रेन, दोनों मिलकर गुजरात को अगले दशक के लिए पूरी तरह बदलने जा रहे हैं। यही परिवर्तन की राजनीति भाजपा को 2027 के चुनाव में एक बार फिर भारी जीत की ओर ले जाती दिखाई दे रही है। गुजरात को विकास की जो दूरदृष्टि चाहिए वह इन दो विशाल परियोजनाओं के रूप में, पहले ही भाजपा के पास है।


-नीरज कुमार दुबे

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