Prabhasakshi NewsRoom: PFI के खिलाफ NIA, ED की देशव्यापी छापेमारी, OMA सलाम समेत 106 गिरफ्तार

By नीरज कुमार दुबे | Sep 22, 2022

एनआईए ने आतंकी गुटों को समर्थन देने, विदेशी फंडिंग और कई अन्य साजिशों के मामले में दिल्ली के शाहीन बाग से लेकर देशभर के कई राज्यों में आधी रात को एकदम से छापेमारी की जो सुबह तक चली। छापेमारी के दौरान मंगलुरु स्थित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) तथा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के कार्यालयों की भी तलाशी ली गयी। बताया जा रहा है कि छापेमारी के दौरान पीएफआई के अध्यक्ष OMA सलाम को भी गिरफ्तार किया गया है। 11 राज्यों में की गयी छापेमारी के दौरान 106 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बताया जा रहा है कि यह छापेमारी रात 1 बजे से सुबह 7 बजे तक चली।


पुलिस सूत्रों ने बताया है कि पीएफआई और एसडीपीआई के कार्यालयों पर एक साथ छापे मारे गए। एनआईए की टीम ने मंगलुरु में बाजपे, नेल्लीकाई रोड, कुलाई और कावूर में स्थित कार्यालयों पर तलाशी ली। यहां छापेमारी के दौरान दो लोगों को हिरासत में लिया गया है। हम आपको बता दें कि विभिन्न ठिकानों पर मारे जा रहे छापों को निर्बाध तरीके से जारी रखने के लिए बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद हैं। मंगलुरु में एसडीपीआई और पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने छापे के विरोध में अपने कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन किया तथा एनआईए के अधिकारियों से वापस जाने को कहा। नेल्लीकाई रोड पर सीआरपीएफ के जवानों को तैनात किया गया है। सीआरपीएफ के अधिकारियों ने मार्ग को पूरी तरह से बंद कर दिया है। हम आपको बता दें कि एनआईए भाजपा युवा प्रकोष्ठ के नेता प्रवीण नेत्तार की हत्या मामले की भी जांच कर रही है। नेत्तार की 26 जुलाई को दक्षिण कन्नड़ जिले के बेल्लार में हत्या कर दी गई थी।


एनआईए अधिकारियों ने बताया कि सबसे अधिक गिरफ्तारियां केरल (22), महाराष्ट्र (20), कर्नाटक (20), आंध्र प्रदेश (5), असम (9), दिल्ली (3), मध्य प्रदेश (4), पुडुचेरी (3), तमिलनाडु (10), उत्तर प्रदेश (8) और राजस्थान (2) में की गईं। एनआईए ने इसे ‘अब तक का सबसे बड़ा जांच अभियान’ करार दिया है। एनआईए अधिकारियों के मुताबिक, आतंकवदियों को कथित तौर पर धन मुहैया कराने, उनके लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करने और लोगों को प्रतिबंधित संगठनों से जुड़ने के लिए बरगलाने में शामिल व्यक्तियों के परिसरों पर छापे मारे जा रहे हैं।


इस बीच, पीएफआई ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘पीएफआई के राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय और स्थानीय नेताओं के ठिकानों पर छापे मारे जा रहे हैं। राज्य समिति के कार्यालय की भी तलाशी ली जा रही है। हम फासीवादी शासन द्वारा असंतोष की आवाज को दबाने के लिए एजेंसियों का दुरुपयोग किए जाने का कड़ा विरोध करते हैं।’’ उल्लेखनीय है कि पीएफआई की स्थापना 2006 में केरल में की गई थी और इसका मुख्यालय दिल्ली में है।


दूसरी ओर, ईडी देश में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम विरोधी प्रदर्शनों, फरवरी 2020 में हुए दिल्ली दंगों को भड़काने, उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक दलित महिला से कथित सामूहिक दुष्कर्म और उसकी मौत के मामले में साजिश रचने और कुछ अन्य आरोपों को लेकर पीएफआई के कथित ‘वित्तीय संबंधों’ की तफ्तीश कर रही है। जांच एजेंसी ने लखनऊ में धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की विशेष अदालत में पीएफआई और उसके पदाधिकारियों के खिलाफ दो आरोपपत्र दाखिल किए हैं।


ईडी ने पिछले साल फरवरी में धन शोधन के आरोपों पर पीएफआई और उसकी छात्र इकाई कैंपल फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) के खिलाफ अपनी पहली प्राथमिकी दाखिल की थी। उसने दावा किया था कि पीएफआई के सदस्य हाथरस के कथित सामूहिक दुष्कर्म मामले के बाद ‘सांप्रदायिक दंगे भड़काना और आतंक का माहौल बनाना’ चाहते थे। आरोप पत्र में जिन लोगों को नामजद किया गया है, उनमें सीएफआई के राष्ट्रीय महासचिव एवं पीएफआई सदस्य के ए रऊफ शरीफ, सीएफआई के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अतिकुर रहमान, सीएफआई की दिल्ली इकाई के महासचिव मसूद अहमद, पीएफआई से जुड़े पत्रकार सिद्दिकी कप्पन और सीएफआई/पीएफआई का एक अन्य सदस्य मोहम्मद आलम शामिल हैं। ईडी ने इस साल दाखिल किए गए दूसरे आरोपपत्र में दावा किया था कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में स्थित एक होटल पीएफआई के लिए धन शोधन का ‘जरिया’ बना था।


इस बीच, इंदौर से खबर मिली है कि देशव्यापी अभियान के तहत पीएफआई के तीन नेताओं को इंदौर से हिरासत में लिया गया है। अधिकारी ने विस्तृत विवरण दिए बगैर बताया कि एनआईए की अगुवाई वाले अभियान के तहत पीएफआई के तीन नेताओं को सदर बाजार क्षेत्र और अन्य इलाकों से बुधवार और बृहस्पतिवार की दरम्यानी रात हिरासत में लिया गया। 


उधर, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस छापेमारी पर कहा है कि PFI भारत विरोधी काम करता है। पूर्णिया को उसने अपना सेंटर बनाया है। ये दुर्भाग्य है जब फुलवारी शरीफ में PFI पर छापे पड़े तब पुलिस का निराशाजनक वक्तव्य आया था। उन्होंने कहा कि नीतीश और लालू तुष्टीकरण की राजनीति करते हैं।

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