कोरोना का कहर, मंदिर के सोने पर नजर, आस्था पर मचा घमासान, चूक गए चव्हाण!

By अभिनय आकाश | May 16, 2020

भारत के परम वैभव से आकर्षित होकर सातवीं सदी की शुरुआत से सौलहवीं सदी तक निरंतर हजारों हिन्दू, जैन और बौद्ध मंदिरों का न केवल विध्वंस किया गया बल्कि उसकी संपदा को भी लूट लिया गया। खासतौर पर ऐसे पूजास्थलों पर आक्रमण किया गया जो अपने विशालतम आकार से कहीं ज्यादा देश की गौरवशाली अस्मिता का प्रतीक थे। अपनेप्रत्येक आक्रमण में गजनवी ने सनातन धर्मियों केकितने ही छोटे-बड़े मंदिरों को अपना निशाना बनाया। मंदिरों में जमा धन को लूटा और मंदिरों को तोड़ दिया।

इसे भी पढ़ें: आर्थिक पैकेज पर पुनर्विचार करें PM मोदी, लोगों के खाते में पैसे डालें: राहुल गांधी

वर्ष 725 में सिंध के अरब शासक अल-जुनैद ने महमूद गज़नी से पहले ही इस मंदिर में तबाही मचाई थी। जगन्नाथ मंदिर को 20 बार विदेशी हमलावरों द्वारा लूटे जाने की कहानी हो या सोमनाथ के संघर्ष के इतिहास से हर कोई रूबरू है। विदेशी आततातियों के इतने आक्रमण और लूटे जाने के बाद भी हिन्दुस्तान के मंदिर धार्मिक सहिष्णुता और समन्वय का अद्भुत उदाहरण आज भी बना हुए हैं। धर्म से जुड़ी भावनाएं बहुत कोमल होती हैं और अक्सर राजनीति में उसका ख्याल रखना जरूरी होता है। लेकिन महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने केंद्र सरकार से देश के धार्मिक ट्रस्टों में रखे सोने के भंडार का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया। ताकी इससे संकट से जूझ रहे देश का कुछ उद्धार हो सके। लेकिन उनके सोने वाले बयान पर सियासत का चढ़ावा चढ़ गया। शायद पृथ्वीराज ये भूल गए कि सवाल भगवान के खजाने पर नहीं, बल्कि भगवान पर उठेंगे। यही हुआ, मंदिर के सोने पर सियासत में खलबली मच गई।

इसे भी पढ़ें: औरैया हादसे पर बोलीं प्रियंका गांधी, क्या सरकार का काम सिर्फ बयानबाजी करना रह गया

साधु संत आगबबूला हो गए, बीजेपी को सियासत की पिच पर लूज बॉल मिल गई। दरअसल, पृथ्वीराज चव्हाण ने ट्वीट किया था कि देश में धार्मिक ट्रस्टों के पास एक ट्रिलियन डॉलर का सोना पड़ा हुआ है। सरकार को कोरोना संकट से निपटने के लिए इस सोने का तुरंत इस्तेमाल करना चाहिए। इस आपातकालीन स्थिति में सोने को कम ब्याज दर पर सोने के बॉन्ड के माध्यम से उधार लिया जा सकता है।

इसे भी पढ़ें: औरैया सड़क हादसे में मजदूरों की मौत पर राहुल गांधी ने जताया दुख

बीजेपी ने साधा निशाना

संबित ट्वीट करते हुए लिखते है कि ‘मुझे इस बात में कोई संदेह नहीं है कि कांग्रेस और मुगल आक्रमणकारी में कोई अंतर है। मुगलों ने मंदिर को लूटा साथ ही ईस्ट इंडिया कंपनी और सोनिया की कांग्रेस में भी कोई ज्यादा अंतर नहीं है, क्योंकि इन दोनों ने भारत की धन और संपत्ती को लूटा। कांग्रेस हिंदूओं से नफरत करती है। चव्हाण ने बाद में दी सफाई

बयान विवादित था तो आलोचना भी लाजमी थी। बाद में जब मामला बढ़ा तो ये कहकर पृथ्वीराज ने अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि उनकी बात को गलत तरीके से पेश किया गया है। जब भी राष्ट्रीय आर्थिक संकट आता है, तो प्रधानमंत्री सोना संग्रह करने का सहारा लेते हैं। साथ ही पृथ्वीराज चव्हाण ने पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के सोना डिपॉजिट रखने की स्कीम का हवाला भी दिया। पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि साल 1999 में तब की अटल बिहारी बाजपेयी सरकार ने गोल्‍ड डिपॉजिट स्‍कीम की शुरुआत की थी। 2015 में मोदी सरकार ने इसका नाम बदलकर गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम कर दिया। वित्‍त राज्‍य मंत्री जयंत सिन्‍हा द्वारा लोकसभा में दिए गए बयान के मुताबिक कई मंदिरों ने अपना सोना डिपॉजिट कर रखा है। क्या है ये स्कीम

गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत सोना बैंक में जमा करना होता है. गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत सोना जमा करने पर वही नियम लागू होता है जो सामान्यतः किसी जमा खाते में पैसे डिपॉजिट करने पर होते हैं. खास बात यह है कि इस सोने के एवज में मिलने वाले ब्याज पर कोई इनकम टैक्स या कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता है।

इसे भी पढ़ें: Modi के आर्थिक पैकेज में दिखा 'सबका साथ, सबका विकास', Lockdown-4 ने राह की आसान

भले ही पृथ्वीराज चौहान ने अपनी तरफ से सफाई दे दी हो लेकिन उनके ट्वीट पर गौर करे तो उसमें उन्होंने अंग्रेजी के "appropriate" शब्द का प्रयोग ट्रस्टों से सोना लेना के लिए किया। वैसे तो एक शब्द के कई अर्थ होते हैं और इसको विस्तार से आप गूगल करेंगे तो हथिया लेना, अनुचित रूप से अपना बना लेना,  हड़पना जैसे अर्थ निकलकर सामने आएंगे। दूसरी बात ये कि देश में न तो मस्जिदों के पास सोना है, न ही गुरुद्वारों और गिरिजाघरों के पास। मगर, हां वेटिकन में सोना ज़रूर है, मगर उसका यहां से कोई लेना देना नहीं है। ऐसे में सोने और धार्मिक संस्थानों को लेने की उनकी चाह और उसे "appropriate" करने जैसी मंशा के मायने आप खुद ही निकाल सकते हैं। 

ऐसा ख्याल पृथ्वीराज के मन में किस मंशा के तहत आया इसका तो पता नहीं लेकिन एक बात जो यहां जानना जरूरी देश के लोगों और कांग्रेस पार्टी के नेताओं के लिए जरूरी है कि मंदिरों की जो आय है या वहां जो भी है वो टैक्सेड है। उसपर पहले ही सरकार अपने हिस्से का कर ले चुकी है तो अब सरकार के पास ये हक़ नहीं रहता है कि वो उसे जब्त कर ले।

प्रमुख खबरें

Uttar Pradesh के बागपत में दो महिलाओं की हत्या, आरोपी ने किया आत्महत्या का प्रयास

Prime Minister को प्रज्वल की गंदी हरकतों के बारे में पता था, फिर भी उनके लिए प्रचार किया: ओवैसी

Lok Sabha Elections : कांग्रेस, आप ने दिल्ली, हरियाणा के लिए संयुक्त प्रचार रणनीति को लेकर बैठक की

Covishield Vaccine को लेकर विपक्षी दलों ने भाजपा पर साधा निशाना