By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 19, 2018
नयी दिल्ली। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राफेल समझौते से जुड़े आरोपों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इससे जुड़े सभी विवरण पहले से ही संसद के समक्ष रखे जा चुके हैं। उन्होंने संप्रग सरकार पर यह आरोप लगाते हुए निशाना साधा कि उसने हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को उस वक्त सहयोग नहीं दिया जब वह भारत में राफेल विमान बनाने के लिए फ्रांस की कंपनी ‘दसाल्ट एविएशन’ के साथ बातचीत कर रही थी।
सीतारमण ने इंडियन वीमेन प्रेस कॉर्प्स में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि संप्रग सरकार ने न तो भारतीय वायुसेना के बारे में सोचा और न ही एचएएल के बारे में। यह कहना कि हम एचएएल को ध्यान में नहीं रख रहे हैं, पूरी तरह गलत है। संप्रग सरकार दसाल्ट एविएशन के साथ एक समझौते पर बातचीत कर रही थी जिसके तहत कंपनी को 18 ऐसे राफेल विमानों की आपूर्ति करनी थी जो उड़ान भरने के लिए पूरी तरह तैयार हों जबकि कंपनी को 108 राफेल विमान हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ मिलकर भारत में बनाने थे।
संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की विपक्ष की मांग पर सीतारमण ने कहा कि जेपीसी क्यों? हमने सभी ब्यौरे संसद के समक्ष रख दिए हैं। विपक्ष को उन पर नजर दौड़ानी चाहिए। पूर्व रक्षामंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ए.के. एंटनी की टिप्पणी पर सीतारमण ने सीधा जवाब नहीं दिया। एंटनी ने कहा था कि यदि केंद्र की ओर से खरीदा जा रहा विमान वाकई सस्ता है तो उसने 126 की बजाए 36 ही विमान क्यों खरीदे। उन्होंने कहा कि विमान खरीदना कोई साधारण खरीद प्रक्रिया नहीं है। इसके लिए एक तय प्रक्रिया है।
एंटनी ने कहा था कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाल में दावा किया था कि नए समझौते में विमान की कीमत यूपीए सरकार के समय के समझौते में तय कीमत से नौ फीसदी सस्ती है। वित्त मंत्री ने कहा कि यह 20 फीसदी सस्ती है जबकि भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने कहा कि यह 40 फीसदी सस्ती है, तो अगर यह इतनी ही सस्ती है तो उन्होंने 126 से ज्यादा विमान क्यों नहीं खरीदे?