By नीरज कुमार दुबे | Sep 26, 2025
भारतीय वायु सेना (IAF) ने आज अपने प्रतिष्ठित मिग-21 लड़ाकू विमानों को रिटायर कर दिया। इस समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी सहित वरिष्ठ सैन्य अधिकारी उपस्थित थे। यह दिन भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक युग के अंत का प्रतीक है, क्योंकि मिग-21 ने 1963 से अब तक देश की वायु सुरक्षा की रीढ़ के रूप में सेवा दी।
हम आपको बता दें कि मिग-21 विमानों को भारतीय वायु सेना में शामिल किए जाने के समय यह अपनी तकनीक और गति के लिए विश्व के सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों में गिना जाता था। शुरू में यह मुख्यतः इंटरसेप्टर के रूप में कार्य करता था, यानी दुश्मन के विमानों को रोकने और वायु क्षेत्र की रक्षा करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
अलग-अलग अपग्रेड और नए संस्करणों के माध्यम से मिग-21 ने कई युद्धों में अपनी उपयोगिता साबित की, जिनमें 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध, और 1999 का कारगिल संघर्ष शामिल हैं। भारत ने अब तक 700 से अधिक मिग-21 विमानों को विभिन्न वेरिएंट्स में खरीदा। सबसे आधुनिक 'बायसन' (BIS) संस्करण में आधुनिक अवियोनिक्स, रडार और उन्नत मिसाइलें शामिल थीं।
हालांकि, विमानों के एक इंजन वाले होने और पुराने इंजन की समस्याओं के कारण मिग-21 ने वर्षों में कई दुर्घटनाओं का सामना किया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 60 वर्षों में 500 से अधिक मिग-21 क्रैश हुए, जिनमें कम से कम 170 पायलटों की जान गई। इसके बावजूद, वरिष्ठ IAF अधिकारी मानते हैं कि इतने लंबे समय तक उड़ान भरने वाले विमानों के लिए इसका सुरक्षा रिकॉर्ड अपेक्षाकृत संतोषजनक रहा।
हम आपको यह भी बता दें कि मिग-21 के सेवानिवृत्त होने के बाद, भारतीय वायुसेना की फाइटर स्क्वॉड्रन संख्या घटकर 29 रह गई है, जबकि इसकी मानक संख्या 42 स्क्वॉड्रन है। यह कमी भविष्य में दो-सीमाओं पर संभावित संघर्ष के समय एक गंभीर चुनौती बन सकती है। पाकिस्तान की अनुमानित 20–25 स्क्वॉड्रन और चीन की 60 से अधिक स्क्वॉड्रन क्षमता के मुकाबले यह अंतर स्पष्ट है।
इस समय वायुसेना का ध्यान मुख्य रूप से मजबूत वायु रक्षा प्रणालियों और सतह से हवा तक (SAM) एवं सतह से सतह तक के हथियारों के सुदृढ़ीकरण पर है। इसी कारण, भारत ने रूसी S-400 मोबाइल मिसाइल सिस्टम को अपनाया और स्वदेशी आकाश-तीर वायु रक्षा प्रणाली का विकास किया।
भविष्य की तैयारी को देखें तो वायुसेना अपनी घटती फाइटर शक्ति को पूरा करने के लिए स्वदेशी और विदेशी विमानों का मिश्रित मॉडल अपनाने जा रही है। तेजस Mk1A HAL द्वारा निर्मित है, इसमें AESA रडार, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट और बीवीआर क्षमताओं वाली मिसाइलें शामिल हैं। इसके अलावा तेजस Mk2 और AMCA भविष्य के पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ विमानों के रूप में अगले दशक में सेवा में शामिल होंगे। साथ ही 114 विमानों की खरीद में Dassault Rafale प्रमुख दावेदार है। कुछ विमानों को तुरंत प्राप्त किया जाएगा और बाकी भारत में HAL और Dassault की साझेदारी में बनाए जाएंगे। इसके अलावा, Su-30MKI विमानों के Super-30 प्रोग्राम के तहत 84 विमानों का उन्नयन किया जाएगा।
हम आपको यह भी बता दें कि IAF की नई तकनीक और विमानों की डिलीवरी में लगातार देरी रही है। मिग-21 का लंबे समय तक संचालन इसी कारण संभव हुआ। तेजस Mk1A के पहले विमानों की डिलीवरी में भी US से इंजन प्राप्ति और रडार तथा हथियार एकीकरण में देरी आई। AMCA अभी विकास के चरण में है और इसके प्रोटोटाइप को भी कुछ साल लग सकते हैं।
देखा जाये तो मिग-21 का सेवामुक्त होना भारतीय वायुसेना के लिए भावनात्मक और रणनीतिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह विमान न केवल छह दशक तक देश की सुरक्षा का प्रतीक रहा, बल्कि भारतीय वायुसेना की क्षमता, साहस और आत्मनिर्भरता का भी परिचायक रहा। अब जबकि भारत नए युग के उन्नत विमानों की ओर बढ़ रहा है, मिग-21 की विरासत हमेशा याद रहेगी।
-नीरज कुमार दुबे