By रेनू तिवारी | Oct 28, 2025
तेलंगाना में 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में सत्ता गंवाने के बाद, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को पिछले वित्त वर्ष में 15 करोड़ रुपये से अधिक राशि चंदे में प्राप्त हुई है। भारत निर्वाचन आयोग को दिए गए विवरण के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली इस पार्टी को एक वर्ष पहले 580 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिला था।
वित्त वर्ष 2024-25 में प्राप्त कुल 15.09 करोड़ रुपये के चंदे में से बीआरएस को 15 करोड़ रुपये चुनावी ट्रस्ट फंड्स के माध्यम से मिले, जबकि शेष राशि व्यक्तियों द्वारा दान की गई। वित्त वर्ष 2023-24 में पार्टी को 495 करोड़ रुपये से अधिक राशि चुनावी बांड्स के जरिये मिली थी, जबकि शेष 85 करोड़ रुपये चुनावी ट्रस्ट फंड्स से प्राप्त हुए थे। वित्त वर्ष 2022-23 में बीआरएस को कुल 683 करोड़ रुपयेचंदे में प्राप्त हुए थे।
इससे पहले तेलंगाना की एक अन्य घटना में जुबली हिल्स के लिए आगामी उपचुनाव एक हाई-वोल्टेज चुनावी जंग में तब्दील हो गया है। प्रमुख राजनीतिक दल जाति और समुदाय आधारित वोट बैंक के इर्द-गिर्द अपनी रणनीतियाँ बारीकी से गढ़ रहे हैं। इस क्षेत्र में लगभग 3.9 लाख मतदाता हैं, सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) इस मुकाबले को भविष्य के स्थानीय निकाय और नगरपालिका चुनावों में अपनी संभावनाओं के लिए एक प्रतिष्ठित सूचक मान रहे हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र के जनसांख्यिकीय विश्लेषण से एक जटिल चुनावी परिदृश्य का पता चलता है। 1.31 लाख मतदाताओं वाला मुस्लिम समुदाय एक महत्वपूर्ण समूह माना जाता है, जिसका समर्थन पाने के लिए कांग्रेस और बीआरएस दोनों ही आक्रामक रूप से होड़ लगा रहे हैं।
यह निर्वाचन क्षेत्र राज्य के विविध सामाजिक ताने-बाने का एक सूक्ष्म रूप है। प्रमुख मतदाता समूहों में 38,721 यादव, 27,104 कम्मा, 23,232 अनुसूचित जाति (मडिगा) और 23,254 मुदिराज मतदाता शामिल हैं। अन्य महत्वपूर्ण समुदायों में गौड़ (19,630), ईसाई (लगभग 21,000), रेड्डी (15,488), मुन्नुरू कापू (11,616) और अनुसूचित जाति (माला) मतदाता (11,600) शामिल हैं। मतदाताओं में ब्राह्मण, अनुसूचित जनजाति (लांबाडा), मारवाड़ी, पद्मशाली, वैश्य और अन्य ओबीसी तथा सामान्य वर्ग के मतदाता भी शामिल हैं, जिनकी संख्या कम लेकिन महत्वपूर्ण है।
इस जनसांख्यिकीय संरचना के जवाब में, राजनीतिक दलों ने एक विस्तृत दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने अपने उम्मीदवारों के लिए वोट हासिल करने और सूक्ष्म प्रबंधन के लिए वरिष्ठ नेताओं को तैनात किया है और समुदाय-विशिष्ट प्रभारी नियुक्त किए हैं। सत्तारूढ़ कांग्रेस ने थुम्माला नागेश्वर राव, विवेक वेंकटस्वामी और प्रभारी मंत्री पोन्नम प्रभाकर सहित मंत्रियों के मार्गदर्शन में अपनी रणनीति शुरू की है। उन्हें राज्यसभा सांसद अनिल कुमार यादव और पूर्व सांसद मोहम्मद अजहरुद्दीन द्वारा जमीनी स्तर पर सहायता प्रदान की जा रही है।