पानी को फिल्टर करने के लिए एक किफायती प्रणाली विकसित, जानें क्या हैं खास

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 17, 2019

नयी दिल्ली। अनुसंधानकर्ताओं ने पानी को फिल्टर करने के लिए एक किफायती प्रणाली विकसित की है जो आर्सेनिक और लौह दूषित भूजल से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में होने वाले खर्च को कम कर सकती है। ‘अर्सिरोन निलोगन’ को असम के तेजपुर विश्वविद्यालय के रॉबिन कुमार दत्त के नेतृत्व वाली एक टीम ने विकसित किया है। यह भूजल से 99.9 प्रतिशत आर्सेनिक फिल्टर करके उसे पीने योग्य बनाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार आर्सेनिक पृथ्वी की सतह का एक प्राकृतिक घटक है और यह पूरे वातावरण....हवा, पानी और जमीन में व्यापक रूप से फैला हुआ है। अनुसंधानकर्ताओं ने यद्यपि कहा कि यह अपने अकार्बनिक रूप में अत्यंत जहरीला होता है।

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उन्होंने कहा कि अकार्बनिक आर्सेनिक के लंबे समय तक संपर्क में रहने, मुख्य रूप से दूषित पानी पीने, खाना खाने या इस पानी से तैयार भोजन करने से भी त्वचा को नुकसान और कैंसर हो सकता है। असम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार सहित भारत के कई राज्यों में भूजल आर्सेनिक से दूषित है। तेजपुर विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग के फैकल्टी दत्त ने कहा कि फिल्टर प्रणाली अत्यंत किफायती और संचालित करने में अत्यंत सामान्य है।

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दत्त ने  कहा, ‘‘अर्सिरोन निलोगन में हम किसी बाल्टी या ड्रम में ऐसी स्थिति का निर्माण करते हैं जो किसी एक्वीफायर में होती है और इससे हमें आर्सेनिक मुक्त पानी मिलता है। इसके लिए तीन सामान्य रसायन मिलाने पड़ते हैं।’’उन्होंने कहा कि फिल्टर प्रणाली में इस्तेमाल किये जाने वाले सामान्य रसायनों में खाने वाला सोडा, पोटेशियम परमैंगनेट और फेरिक क्लोराइड शामिल हैं।

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