By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 12, 2018
नई दिल्ली। सनातन हिन्दू धर्म एवं विराट हिन्दू संस्कृति के जनपयोगी संदेश को जनसामान्य तक पहुंचाने के लिए पौराणिक कथा पर आधारित फिल्म "देवयानी" आगामी 2 नवंबर को देश भर में रिलीज होने जा रही है। फिल्म का पोस्टर एवं ट्रैलर, शुक्रवार को राजधानी दिल्ली स्थित कंस्टीटूशन क्लब में लांच किया गया। दर्शकों के लिए पोस्टर और ट्रेलर को भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री सरदार आर. पी. सिंह, राष्ट्रीय प्रवक्ता जी. वी. एल. नरसिम्हा राव एवं डॉ विजय सोनकर शास्त्री एवं नवीन सिन्हा ने जारी किया।
फ़िल्म की परिकल्पना भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं पूर्व सांसद डॉ. विजय सोनकर शास्त्री की है तथा फ़िल्म निर्माण राष्ट्रीय प्रसिद्ध फ़िल्म निर्माता दिलीप सोनकर ने निर्देशन दक्षिण भारतीय फिल्मों के प्रसिद्ध निर्देशक जोस मायलन ने किया हैI फ़िल्म का संगीत महान संगीतकार स्वर्गीय रवींद्र जैन ने दिया हैI स्व. जैन की यह अंतिम फ़िल्म थी, जिसमें उन्होंने संगीत की धुनों का कमाल दिखायाI फिल्म की संयुक्त निर्मात्री श्रीमती डॉ. सुमन सोनकर शास्त्री एवं मणीन्द्र जैन हैंI फिल्म का छायांकन कई पुरस्कारों से सम्मानित दक्षिण भारतीय फिल्मों के छायाकार आर. जय प्रसाद ने किया हैI इस अवसर पर फ़िल्म के कलाकार श्यामेन्द्र सिंह, नीतू बाधवा, अष्टभुजा मिश्रा, शलभ श्रीवास्तव, हिमांशु तिवारी, सुरेंद्र झा, सुशील सिंह सहित कई अन्य गणमान्य लोग मौजूद थेI
कमलाश्री फ़िल्म्स प्रा. लि. के बैनर तले बनी हिंदी फिल्म 'देवयानी' पौराणिक हिन्दू कथा पर आधारित हैI यह कहानी दानवों के गुरु शुक्राचार्य की है, जोकि किसी भी मरे हुए दानव को जीवित करने वाली संजीवनी विद्या के महान जानकर थे I यह विद्या सिर्फ गुरु शुक्राचार्य ही जानते थेI युद्ध के दौरान देवता और दानव दोनों ही अपने प्राण गंवाते थे, लेकिन गुरु शुक्राचार्य की विद्या की सहायता से मृत दानव फिर से जीवित हो जाते थेI इससे देवताओं की ताकत क्षीण होती जा रही थी। देवता किसी भी तरह शुक्राचार्य से संजीवनी विद्या हासिल करना चाहते थे लेकिन यह कार्य इतना भी आसान नहीं था।
अंततः देवताओं के गुरु बृहस्पति ने एक युक्ति सोची, उन्होंने अपने पुत्र कच को शुक्राचार्य के पास भेजा। कच को असुरों के बीच भेजने का उद्देश्य यह था कि वह अपनी सेवा भावना, श्रद्धा और गुरु-भक्ति से शुक्राचार्य को प्रसन्न कर संजीवनी विद्या हासिल कर सके, जिससे देवताओं की सहायता की जा सके। गुरु बृहस्पति के पुत्र कच, सभी गुणों में लैस थे। वे यौवन और सुंदरता की मूर्ति तो थे ही साथ ही गुरु-भक्ति और समर्पण की भावना भी उनमें कूट-कूटकर भरी थी।
गुरु शुक्राचार्य के आश्रम में कच की मुलाकात गुरु शुक्राचार्य की बेटी देवयानी से होती हैI आचार्य शुक्र तथा उनकी पुत्री देवयानी- दोनों की कच नित्य आराधना करने लगे। आचार्य कन्या देवयानी कच के ही समीप रहती और नृत्य गायन से उनका मनोरंजन करती हुई उनकी सेवा करती थी। देवयानी कच को प्रेम करने लगी थी और वह किसी भी कीमत पर कच के साथ विवाह करने के स्वप्न देखने लगती हैI
विविध घटनाक्रमों के दौरान कच तीन बार मृत्यु को प्राप्त करता है, लेकिन गुरु शुक्राचार्य अपनी संजीवनी विद्या से उसे जीवित कर देते हैंI गुरु शुक्राचार्य द्वारा तीन बार पुनर्जीवित होने के बाद अंत में कच अपने गुरु शुक्राचार्य से संजीवनी विद्या को प्राप्त कर लेता है, लेकिन कच और देवयानी का विवाह काफी प्रयासों के बाद भी क्यों नहीं होता है? यह जानने के लिए फिल्म को देखेंI फिल्म के विशेष इफेक्ट काफी असरदार हैI फिल्मांकन भी सराहनीय कहा जा सकता हैI पूरी फिल्म हिन्दू संस्कृति की विषेशताओं की एक झलक पेश करने में कामयाब हैI