पेरियार ने सच में किया था राम का अपमान? जानें पूरा मामला, जिसकी वजह से साथ आए दक्षिण के दो विरोधी

By अभिनय आकाश | Jan 22, 2020

पेरियार के नाम से प्रसिद्धि पाने वाले ईवी रामास्वामी का तमिलनाडु के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्यों पर गहरा असर रहा है और वामपंथी विचारधारा से लेकर तमिल तर्कवादी सभी का ढुकाव उनकी तरफ रहा है। पेरियार के द्रविड़ आंदोलन ने ही राजनीतिक पार्टी डीएमके, एआईडीएमके, और एमडीएमके को जन्‍म दिया है। लेकिन द्रविड़ आंडोलन के अगुआ रहे पेरियार भारतीय राजनीति की विवादित हस्तियों में भी शामिल रहे हैं। कई आंदोलन के प्रणेता रहे पेरियार ने ब्राह्मणों के प्रति विरोध जताया था। यहां तक कि वे राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी के भी विरोधी हो गए थे। लेकिन पेरियार को लेकर इन दिनों राजनीतिक घमासान मचा है।

इसे भी पढ़ें: पेरियार रैली पर टिप्पणी के लिए नहीं मांगूंगा माफी: रजनीकांत

अभिनेता से नेता बने रजनीकांत ने पिछले दिनों तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके पर निशाना साधते हुए एक बयान दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि पेरियार हिंदू देवताओं के कट्टर आलोचक थे लेकिन उस समय किसी ने पेरियार की किसी ने आलोचना नहीं की। उन्होंने कहा था कि पेरियार ने 1971 में सलेम की रैली में भगवान राम और सीता की मूर्तियों के वस्त्र उतारे थे और उन मूर्तियों को चप्पल की माला भी पहनाई थी। रजनीकांत ने पत्रिका की कतरन दिखाते हुए कहा कि मेरे एक बयान के कारण विवाद पैदा हो गया है कि मैंने ऐसा कुछ कहा है, जो कभी हुआ ही नहीं है और लोग मुझसे माफी मांगने की मांग रहे हैं, लेकिन मैंने कुछ ऐसा नहीं कहा, जो कभी हुआ ही नहीं है। पेरियार पर की गई टिप्पणी को लेकर सुपरस्टार रजनीकांत के घर के बाहर थनथाई पेरियार द्रविदर कझगम के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं। इसे देखते हुए रजनीकांत के निवास के पास पुलिस तैनात की गई।

वहीं मामले को बढ़ता देख कभी रजनीकांत के आलोचक रहे सुब्रह्मण्यम स्वामी रजनीकांत के साथ आ खड़े हो गए हैं। स्वामी ने कहा कि रजनीकांत द्वारा पेरियार के ख़िलाफ़ बयान देना यह दिखाता है कि उन्होंने काफ़ी सोच-समझ कर मजबूती से स्टैंड लिया है। बीजेपी सांसद स्वामी ने कहा कि सुपरस्टार को कभी भी किसी भी प्रकार की कानूनी मदद की ज़रूरत पड़ती है तो वो इस मामले में कोर्ट में उनका पक्ष रखने को तैयार हैं। ख़ुद स्वामी ने स्वीकार किया कि रजनीकांत को लेकर उनके रुख में बदलाव आया है। उन्होंने माना कि पेरियार ने 1971 की एक रैली में भगवान राम व माँ सीता का अपमान किया था और बाद में ‘तुग़लक़’ पत्रिका ने इसे प्रकाशित भी किया था। 

कौन हैं पेरियार

  • साम्यवाद से लेकर दलित आंदोलन, तमिल राष्ट्रवाद, तर्कवाद और नारीवाद तक हर धारा से जुड़े लोग पेरियार का सम्मान करते हैं। 
  • ब्राह्मणवाद और हिंदू धर्म की कुरीतियों पर उन्होंने छोटी उम्र से ही प्रहार करना शुरू कर दिया था।
  • पेरियार न मूर्ति पूजा को मानते थे, न ही वेदांत को और न ही बाकी हिंदू दर्शन में उनकी आस्था थी।
  • पेरियार महात्मा गांधी के सिद्धांतों से प्रभावित होकर कांग्रेस में शामिल हुए थे।
  •  इसी दौरान उन्होंने 1924 में केरल में हुए वाइकोम सत्याग्रह में अहम भूमिका निभाई।
  • कभी महात्‍मा गांधी के शिष्‍य रहे पेरियार उनकी मौके के बाद विरोधी भी बन गए।

 

प्रमुख खबरें

केजरीवाल जैसा यू-टर्न लेने वाला आदमी नहीं देखा, Delhi में बोले Amit Shah, भारत से ज्यादा राहुल के पाकिस्तान में समर्थक

इब्राहिम रईसी के निधन पर भारत ने किया 1 दिन के राजकीय शोक का ऐलान, जयशंकर ने कहा ईरान के साथ खड़ा है देश

New Delhi Lok Sabha Seat: बांसुरी स्वराज के लिए जेपी नड्डा ने किया रोडशो, केजरीवाल पर जमकर साधा निशाना

पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर खत्म होगा रेल रोको आंदोलन, रेलवे ट्रैक को खाली करेंगे किसान