By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 14, 2025
उद्योग निकाय आईपीसीपीए ने कहा कि कई मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के तहत तांबे के सस्ते आयात से भारतीय विनिर्माण को गंभीर रूप से नुकसान पहुंच रहा है। इसके साथ ही उसने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप कर सुरक्षा शुल्क लगाने और विदेशों से आने वाले आयात पर मात्रात्मक प्रतिबंध लागू करने की मांग की है।
इंडियन प्राइमरी कॉपर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईपीसीपीए) के अनुसार, शून्य शुल्क पर तांबे के आयात के चलते देश के घरेलू उद्योग को नुकसान हो रहा है, जबकि आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए हाल के वर्षों में 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है।
आईपीसीपीए ने कहा, एफटीए साझेदारों से शून्य शुल्क पर हो रहे आयात भारतीय स्मेल्टिंग और रिफाइनिंग उद्योग को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं। उद्योग निकाय ने कहा कि तांबे की कुछ श्रेणियों के आयात पर तीन प्रतिशत सुरक्षा शुल्क लगाना चाहिए।
संगठन ने भारत–यूएई व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) को लेकर भी चिंता जताई, जिसके तहत तांबे के वायर रॉड पर सीमा शुल्क वित्त वर्ष 2025-26 में घटकर एक प्रतिशत रह गया है और 2026-27 तक इसे पूरी तरह खत्म करने की बात कही हई है।