किसानों के निचले भाव पर बिकवाली कम करने से Edible oil-oilseeds कीमतों में मजबूती

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 02, 2023

देश के किसानों द्वारा अपनी सरसों और सोयाबीन जैसे तिलहन ऊपज सस्ते में कम बिकवाली करने से दिल्ली तेल- तिलहन बाजार में शनिवार को सरसों एवं सोयाबीन तिलहन और बिनौला तेल जैसे देशी तेल तिलहन के अलावा आयातित कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन के भाव में सुधार रहा जबकि देशी मूंगफली तेल तिलहन और सोयाबीन तेलों के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए। बाजार सूत्रों ने कहा कि कुछ समाचार माध्यमों में हाल की बरसात से सरसों की फसल को नुकसान (लगभग 40 प्रतिशत का) होने की खबर चलाई जा रही है लेकिन यह नुकसान 10-12 प्रतिशत का ही हो सकता है जो हर साल होता ही है।

अगर सरसों का नुकसान ही हुआ है तो इसके दाम तो बढ़ने चाहिये थे और देश में कई स्थानों पर सरसों के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी नीचे नहीं होने चाहिये थे? सरसों की पैदावार ज्यादा प्रभावित होने पर भी सहकारी संस्था नाफेड 10-15 या 20 लाख टन सरसों खरीद भी ले तो बाकी पैदावार सस्ते आयातित तेलों की मौजूदगी में खपेंगे कहां? सूत्रों ने कहा कि देश के तिलहन किसानों के हित में अपनी बात कहने वाला प्रमुख तेल संगठन सोपा ने पहले ही तिलहन के वायदा कारोबार पर रोक का समर्थन किया है लेकिन कुछ अन्य संगठनों की कोशिश रहती है कि तिलहनों का वायदा कारोबार खुले।

इसके लिए अनेक लोगों और कई संगठनों की ओर से मांग भी उठवाई जाती है। मौजूदा समय में सस्ते आयातित तेलों के आगे सरसों को खपता न देख किसानों ने अपने सरसों और पहले के सोयाबीन फसल को रोक रखा है और जरुरत पड़ने पर ही थोड़ी बहुतबिक्री करते हैं। सूत्रों ने कहा कि अगर अभी वायदा कारोबार खुला होता तो वहां सरसों के दाम तुड़वाकर सरसों की कम दाम पर खरीद कर ली जाती और बाद में उसका फायदा लिया जाता।

लेकिन कम दाम देख किसान अपनी उपज रोके हुए हैं और अपनी मर्जी से जरुरत के हिसाब से बेच रहे हैं। इसलिए विभिन्न कोनों से वायदा कारोबार खुलवाने की मांग उठवाई जाती है। सूत्रों ने कहा कि वायदा कारोबार बंद होने के बाद से सोयाबीन की कीमतों में स्थिरता है। वायदा कारोबार के खुले होने पर सट्टेबाजी के कारण रोज दाम में घट बढ़ देखने को मिल रहा होता। तिलहनों का वायदा कारोबार हमेशा के लिए बंद ही रहना बेहतर है। सूत्रों ने कहा कि देश की कई दूध कंपनी ने छठी बार अपने दूध के दाम में 1-4 रुपये लीटर तक की वृद्धि की है जो तेल खल के महंगा होने की वजह से हुआ है।

अगर खाद्यतेल के दाम बढ़ने पर देश में मुद्रास्फीति की चिंता बढती है तो यह चिंता दूध के दाम बढ़ने से कहीं और ज्यादा बढ़नी चाहिये क्योंकि खाद्यतेल के मुकाबले दूध की खपत लगभग छह गुना अधिक होती है। देशी तिलहनों से ही हमें खली की अधिक प्राप्ति होती है और सस्ते आयातित तेलों की भरमार के बीच देशी तिलहनों के बाजार में नहीं खपने के कारण देश में खल की कमी हो रही है और दूध के दाम महंगे हो रहे हैं। खल के कारण ही दूध में वसा (फैट) की मात्रा में इजाफा होता है। किसानों की बहुसंख्या पशुपालन से जुडे हुए हैं और यह उनके अतिरिक्त आय कमाने का एक साधन भी है।

इसलिए देशी तेल तिलहनों का बाजार विकसित करना बेहद अहम है जो देश हित का काम है। शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 5,460-5,535 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली - 6,815-6,875 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 16,700 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली रिफाइंड तेल 2,545-2,810 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 10,950 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 1,715-1,785 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 1,715-1,835 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,250 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,100 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,600 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,950 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,850 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,400 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 9,550 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 5,360-5,535 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 5,120-5,160 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

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