By रेनू तिवारी | Oct 24, 2025
यूरोपीय संघ (ईयू) ने रूसी सेना के साथ कथित संबंधों के लिए 45 संस्थाओं पर बृहस्पतिवार को प्रतिबंध लगाए जिनमें भारत की तीन कंपनियां भी शामिल हैं। यूरोपीय संघ ने अपने 19वें प्रतिबंध पैकेज के तहत इन कंपनियों पर दंडात्मक कार्रवाई की है। ये प्रतिबंध यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के लिए उस पर आर्थिक दबाव बनाने के प्रयासों का हिस्सा हैं। यूरोपीय संघ की इस कार्रवाई पर भारतीय अधिकारियों की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
यूरोपीय संघ के एक बयान में कहा गया है कि यूरोपीय परिषद ने 45 नयी संस्थाओं की पहचान की है जो रूस के सैन्य और औद्योगिक समूहों को ‘‘कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल (सीएनसी) मशीन टूल्स’, ‘माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स’, मानवरहित हवाई वाहनों (यूएवी) और अन्य उन्नत प्रौद्योगिकी की वस्तुओं पर निर्यात प्रतिबंधों को दरकिनार करने में सक्षम बनाकर उन्हें सीधे समर्थन’’ दे रही हैं।
यूरोपीय संघ ने कहा, ‘‘इनमें से 17 संस्थाएं रूस के अलावा तीसरे देशों में स्थित हैं।’’ इन 17 संस्थाओं में से 12 चीन में हैं, जिनमें हांगकांग भी शामिल है, तीन भारत में और दो थाईलैंड में हैं। प्रतिबंधों के 19वें पैकेज पर जारी बयान में तीन भारतीय कंपनियों की पहचान ‘एयरोट्रस्ट एविएशन प्राइवेट लिमिटेड’, ‘एसेंड एविएशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ और ‘श्री एंटरप्राइजेज’ के रूप में की गई है।
प्रतिबंध नोटिस में नामित तीन भारतीय कंपनियाँ हैं: एयरोट्रस्ट एविएशन प्राइवेट लिमिटेड, एसेंड एविएशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और श्री एंटरप्राइजेज। यूरोपीय संघ ने रूसी संस्थाओं के साथ उनकी कथित संलिप्तता की विशिष्ट प्रकृति के बारे में और विवरण नहीं दिया।
इससे पहले रूस ने संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाए गए ऊर्जा प्रतिबंधों की कड़ी आलोचना की है और उन्हें यूक्रेन में शांति स्थापित करने के प्रयासों के लिए बेहद प्रतिकूल बताया है। मॉस्को में बोलते हुए, रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने कहा कि प्रतिबंधों के बावजूद, यूक्रेन में रूस के उद्देश्य अपरिवर्तित हैं।
ज़खारोवा ने यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों को भी "काम नहीं करने वाला" बताया और इस बात पर ज़ोर दिया कि मौजूदा उपाय संघर्ष के मूल कारणों को दूर करने में विफल रहे हैं, और उन्होंने कहा कि स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए इन मूल कारणों का समाधान किया जाना चाहिए। रूसी मंत्रालय की यह टिप्पणी यूक्रेन में युद्ध जारी रहने के दौरान पश्चिमी दबाव के प्रति मास्को की बढ़ती हताशा का संकेत देती है, जो ऊर्जा निर्यात और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति को लेकर चल रहे भू-राजनीतिक तनाव को उजागर करती है।