कांग्रेस की मुंबई इकाई के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने स्पष्ट कर दिया कि वह पार्टी को छोड़ने वाले नहीं हैं। बीते दिनों यह अटकलें लगाई जा रही थी कि पार्टी आलाकमान से नाराज चल रहे निरुपम जल्द ही पार्टी को बड़ा झटका दे सकते हैं। इस घटनाक्रम की शुरुआत उस वक्त हुई थी जब संजय निरुपम ने ट्वीट करके पार्टी के प्रति अपनी नाराजगी सभी के सामने रखी थी।
क्या कहा था निरुपम ने ?
संजय निरुपम ने कहा था कि मैंने विधानसभा चुनाव के लिए मुंबई में सिर्फ एक नाम की सिफारिश की थी। सुना है कि इसे भी खारिज कर दिया गया है। जैसा कि मैंने पहले पार्टी नेतृत्व को इसकी जानकारी दी थी ऐसी स्थिति में मैं चुनाव प्रचार का हिस्सा नहीं बनूंगा और यह मेरा अंतिम निर्णय है।
संजय निरुपम इतने में ही नहीं रुके थे उन्होंने बाद में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा था कि कांग्रेस अब जमीनी स्तर पर प्रतिक्रिया नहीं ले रही है और राज्य के प्रभारी एआईसीसी महासचिव को काफी प्रभावशाली बना दिया गया है।
पार्टी से किनारे किए गए निरुपम
निरुपम ने कहा था कि उन्हें ‘दरकिनार’ कर दिया गया है जबकि उन्होंने चार वर्षों तक पार्टी की मुंबई इकाई का अध्यक्ष पद संभाला था। उन्होंने अपनी नाराजगी सभी के सामने साझा करते हुए कहा था कि मुझे विधानसभा चुनाव प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं दी गई। मेरे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में ही (विधानसभा) टिकट के बंटवारे के दौरान मेरे विचारों पर ध्यान नहीं दिया गया।
पार्टी को अलविदा नहीं कहेंगे निरुपम
एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में संजय निरुपम ने यह स्पष्ट कर दिया कि चाहे पार्टी नेताओं के प्रति कितनी भी नाराजगी क्यों न हो, वह कांग्रेस नहीं छोड़ने वाले। संजय निरुपम ने आगे कहा कि मैं कांग्रेस को नहीं छोड़ रहा हूं। बाकी पार्टी चाहे तो मेरे खिलाफ कोई भी फैसला ले सकती है।
इसी बीच निरुपम ने दूसरी पार्टियां ज्वाइन करने की अफवाहों को दरकिनार करते हुए कहा कि मैं किसी और पार्टी में नहीं जाना चाहता हूं। इसी बीच उन्होंने अध्यक्ष पद से हटाए जाने पर भी चुप्पी तोड़ी और कहा कि लोकसभा चुनाव के दरमियां मुझे प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया लेकिन मैं चुप रहा।