जीवन के हर रंग देखने को मिलते हैं कोलकाता में

By ईशा | Apr 11, 2017

भारत के दूसरे महानगरों की तरह क्या आपने रात में जगमग कोलकाता को देखा है? अगर नहीं तो किसी भी सीजन में इस ऐतिहासिक शहर को देखने का कार्यक्रम जरूर बनाएं। यह दिल्ली से पहले इस देश की राजधानी रही है। पिछले दिनों विद्या बालन की फिल्म 'कहानी' में दर्शकों ने कोलकाता शहर को देखा है। खासकर उस गीत 'आमी सोत्ती बोलती' में, जिसे उषा उत्थुप ने स्वर दिया है। इस गीत में सम्पूर्ण कोलकाता की झांकी है। जिसमें कहा गया है कि यह शहर 'स्ट्रांग और पावरफुल' है मगर फिर भी बेबस है। इस शहर की इससे बड़ी व्याख्या क्या हो सकती है कि यह चलता रहता है मगर कहीं जाता नहीं। दरअसल कोलकाता अपने सीने में अंग्रेजों के जुल्म से लेकर बंगाल के विभाजन के दर्द को भी समेटे हुए है। इस शहर की सड़कों पर जीवन की खुशियों से लेकर दरिद्रता की उदासी भी दिखाई देती है। बावजूद इसके यह ऐसा शहर है जहां जीवन के हर रंग हैं।

हुगली नदी के किनारे बसा यह शहर सदियों से कवियों, लेखकों, फिल्म प्रोड्यसरों और नोबल पुरस्कार विजेता का जनक माना जाता है। एक बार इस शहर को देखने के बाद यहां की खूबसूरत यादें भुलाएं नहीं भूलतीं। कोलकाता में संस्कृति के कई रूप देखने को मिलते हैं। यहां अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, मेट्रो, सर्कुलर रेल और ग्राउंड रेल यानी हर तरह की परिवहन सुविधा है। सियालदह स्टेशन भारत का सबसे बड़ा रेल हब है।

 

कोलकाता का इतिहास ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के समय को भी दर्शाता है। 1690 में कोलकाता में पहली बार ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी आई थी और उसने 1772 में कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। जॉब चारनॉक को कोलकाता का जनक कहा जाता है। 1857 में यहां पहला आधुनिक भारतीय विश्वविद्यालय बना। स्वतंत्र संग्राम के दौरान आजादी के लिए राष्ट्रीय आंदोलन की शुरूआत भी यहीं से की गई थी।

 

कोलकाता में देखने के लिए बहुत कुछ है। यहां का विक्टोरिया मेमोरियल को दूसरा ताजमहल माना जाता है। इसे कोलकाता की शान कहा जाता है। ब्रिटिश शासक लार्ड कर्जन ने रानी विक्टोरिया को समर्पित करते हुए सफेद मकराना पत्थर से यह घर बनवाया था। आज यहां का बगीचा युवाओं के लिए बेहद लोकप्रिय जगह है। शाम में हिंदी और बंगाली में होने वाले साउंड और लाइट शो भी देखने लायक हैं। इसके अंदर उस समय की खूबसूरत चीजें रखी गई हैं।

 

विश्व का सबसे बड़ा बिड़ला इटालियन शैली की बेहतरीन कारीगरी है। जिसमें अनोखे जीवाश्म, मिस्र की ममी और बहुत सारी चीजें रखी गई हैं। हावड़ा ब्रिज, भारत का सबसे बड़ा पुस्तकालय नेशनल लाइब्रेरी, सांइस सिटी, ईडन गार्डन, रवींद्र सरोवर यह सब कोलकाता में देखे जा सकते हैं। 1876 में बना कोलकाता का चिडि़याघर 16 हेक्टेयर की भूमि में फैला है। यहां बनी झील साइबेरियन पक्षियों के लिए बेहतरीन जगह है।

 

कोलकाता की मेट्रो भारत की पहली भूमिगत रेल थी। हालांकि यह अब तक सिर्फ यह एकतरफा रूट पर चलती है। 'कोलकाता ट्रामवे' भारत की एक अकेली ऐसी सेवा है जो सिर्फ कोलकाता में चलती है और एशिया की सबसे पुरानी विद्युत से चलने वाली ट्राम नेटवर्क है। इस शहर के रिक्शे भी अनोखे है। इन रिक्शों को इ्ंसान खींचते हैं। हालांकि 2006 में ऐसे रिक्शों पर पांबदी लग गई थी। मगर रिक्शा यूनियन के 35 हजार सदस्य इसे आज भी चला रहे हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि रिक्शों की दूरी कम कर दी गई है।

 

कोलकाता में दशहरा उत्सव बेहद धूम-धाम से मनाया जाता है। खूबसूरत पंडाल और भव्य प्रतिमाएं दुर्गापूजा को बेहद आकर्षक बनाती हैं। यहां का कालीघाट मंदिर हिंदुओं का शक्ति-पीठ माना जाता है। किवदंती के अनुसार इस जगह पर देवी पार्वती की उंगली कट कर गिर गई थी और तबसे यह शक्तिपीठ बन गया। 1809 में इस जगह पुननिर्माण किया गया और अब यहां शक्ति की देवी की पूजा की जाती है। 1847 में हुगली नदी के किनारे बना दक्षिणेश्वर काली मंदिर और बेलूर मठ भी दर्शनीय हैं। इसके अलावा रामकृष्ण मिशन इंस्टीट्यूट ऑफ कल्चर और नैखोडा मस्जिद भी देखी जा सकती हैं।

बिड़ला प्लेनेटेरियम के बगल में है संत पॉल कैथेड्रल चर्च, जो 1839 और 1847 के बीच बना था। इस गिरजाघर की खूबसूरती देखते बनती हैं। इसके अलावा सेंट जॉन चर्च, अरमेनियम चर्च, ओल्डमिशन चर्च और ग्रीक औरथोडॉक्स चर्च भी देखने लायक हैं। अरमेनियम चर्च कोलकाता में ईसाइयों का सबसे पुराना गिरजाघर है।

 

कोलकाता भारत के सभी बड़े शहरों से रेल और हवाई यातायात से जुड़ा है। इसलिए यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। किसी भी मौसम में कोलकाता घूमने जाया जा सकता है। रात हो या दिन यह शहर हर समय खूबसूरत लगता है। रात की रोशनी में नहाए कोलकाता को देखना, एक जीवन जीने के समान है।

 

ईशा

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