खुला क्षेत्र लाइसेंसिंग नीति के दूसरे दौर में 40,000 करोड़ रुपये निवेश की उम्मीद

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 08, 2019

 नयी दिल्ली। सरकार को खुला क्षेत्र लाइसेंसिग नीति (ओएएलपी) के तहत दूसरे दौर की बोली में रखे गये 14 ब्लॉक में संभावित तेल एवं गैस की खोज में 40,000 करोड़ रुपये का निवेश होने की उम्मीद है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले साल ओएएलपी के पहले दौर में 55 ब्लॉक में तेल एवं गैस की खोज के लिये 60,000 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता जताई गई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 12 तेल एवं गैस ब्लॉक और पांच कोयला खदान में मीथेन (सीबीएम) गैस की खोज के तीसरे दौर की ओएएलपी भी इसी महीने शुरू की जायेगी। ओएएलपी के तहत दूसरे दौर की बोली में पेश किये गये 14 ब्लॉक 29,333 वर्गकिलोमीटर में फैले हैं और इनके लिये बोली 12 मार्च को बंद होगी। 

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प्रधान ने कहा कि वर्ष 2014 में भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार के सत्ता में आने के बाद से सरकार ने खोज किये जा चुके क्षेत्रों की दो नीलामियां और इतनी ही नीलामी दौर ओएएलपी के तहत किये हैं जिनमें कुल मिलाकर 1,20,000 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता जताई गई है।

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उन्होंने कहा, ‘‘ओएएलपी के पहले दौर में हमें 60,000 करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धता मिली है और ओएएलपी के दूसरे नीलामी दौर में हम 40,000 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद कर रहे हैं।’’ सरकार ने जुलाई 2017 में कंपनियों को अपनी पसंद का क्षेत्र चुनने की आजादी दी है। इस नीति को खुला क्षेत्र लाइसेंसिंग नीति (ओएएलपी) नाम दिया गया। इसके तहत 28 लाख वर्गकिलोमीटर क्षेत्र को तेल एवं गैस खोज के दायरे में लाने की शुरूआत की गई। 

ओएएलपी का पहला दौर 2017 में शुरू किया गया। पहले दौर में 55 ब्लॉक में से अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाली वेदांता ने 41 ब्लॉक हासिल कर लिये जबकि सरकारी कंपनी आयल इंडिया ने नौ और ओएनजीसी को केवल दो ब्लॉक ही मिले। ये 55 ब्लॉक कुल 59,282 वर्ग किलोमीटर में फैले हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करने पर जोर दिया है। वर्ष 2022 तक देश की तेल आयात निर्भरता 10 प्रतिशत घटाकर 67 प्रतिशत और 2030 तक इसे घटाकर 50 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा गया है। 

 

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