By अभिनय आकाश | Dec 24, 2025
महाराष्ट्र में हुए नगर निकाय चुनाव में असफलता देखने के बाद या फिर बीजेपी और एनडीए का जो प्रचंड बहुमत दिया लोगों ने एनडीए को उसे देखने के बाद एक बार फिर से राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे को यह लगा है कि साथ आएंगे तो शायद थोड़ी बहुत इज्जत बच सकती है वरना नहीं बचेगी। विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी दोनों भाई एक मंच पर आए थे। हाथ मिलाया था। लेकिन उसके बाद नकर निकाय चुनाव में बहुत ज्यादा कुछ रिजल्ट उसका देखने को नहीं मिला। पार्टी की तरफ से कहा गया है कि दोनों भाई मिलकर बीएमसी का चुनाव लड़ेंगे।
सूत्रों के मुताबिक मुंबई की 227 सीटों को लेकर दोनों में समझौता लगभग तय हो चुका है। शिवसेना (यूबीटी) करीब 150 सीटों पर और मनसे 60 से 70 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। कुछ इलाकों जैसे शिवडी, विक्रोली, लोअर परेल और भांडुप में सीट बंटवारे को लेकर मतभेद हैं। इसे उद्धव और राज के हस्तक्षेप से सुलझाया जाएगा। संजय राउत ने कहा है कि गठबंधन हो चुका है, सिर्फ ऐलान बाकी है।
उद्धव ठाकरे के हाथ शिवसेना (अविभाजित) की कमान जाने के बाद नाराज राज ठाकरे ने 2006 में पार्टी से अलग होकर मनसे का गठन किया था। उसके बाद हुए लोकसभा, विधानसभा सहित स्थानीय निकाय चुनाव में मनसे अकेले चुनाव लड़ी थी। इधर, फडणवीस सरकार द्वारा महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी भाषा शामिल करने के विरोध में उद्धव-राज साथ आए। हिंदी के खिलाफ दोनों भाइयों ने वर्ली में संयुक्त रूप से मंच साझा किया। उसके बाद दोनों की नियमित मुलाकात होती रहीं। दोनों दलों के नेता भी बीएमसी चुनाव में गठबंधन के लिए मिलते रहे हैं, जिस पर बुधवार को ठाकरे बंधु अंतिम मुहर लगाएंगे।
राज ठाकरे अच्छा खासा वही यूथ जो है जो कि ठेले खोमचे जो पलटता है ना गरीबों के ड्राइवरों को पीटता है वो सब सिर्फ एक यूनाइट होंगे। अभी बीएएमसी इलेक्शन से पहले कुछ और इस तरह की घटनाएं होंगी। बढ़ जाएंगी इन दोनों भाइयों के हाथ मिलाने से। लेकिन याद रखना चाहिए कि उसी मुंबई में 70% पर प्रांतीय हैं। 30% मराठी वोटर हैं। ऐसे में प्रांतियों को भगाने से 70% दूसरी तरफ चले जाते हैं। 30% यूनाइट होंगे या नहीं होंगे इसकी गारंटी नहीं है क्योंकि एकनाथ शिंद की शिवसेना भी उतनी ही स्थानीय है जितना देवेंद्र फडनवीस की पार्टी स्थानीय है। उतना ही उसी प्लैंक पे शरद पवार भी उतरेंगे और कांग्रेस भी है।