Gudi Padwa 2024: 09 अप्रैल को मनाया जा रहा है गुड़ी पड़वा का पर्व, जानिए मुहूर्त और महत्व

By अनन्या मिश्रा | Apr 09, 2024

हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष शुरू होता है। मुख्य रूप से हिंदू नववर्ष जिसे नव-सवंत्सर भी कहा जाता है, उसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है। वहीं भारत के दक्षिण राज्यों में इसको उगादी नाम से जाना जाता है। गुड़ी पड़वा दो शब्दों से मिलकर बना है, गुड़ी का अर्थ विजय पताका और पड़वा का अर्थ प्रतिपदा तिथि से होता है। 


इसलिए चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर लोग अपने घरों में विजय पताका के रूप में गुड़ी सजाते हैं। साथ ही उत्साह के साथ इस पर्व को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक इस पर्व को मनाने से घर में सुख-समृद्धि आती है। वहीं घर की नकारात्मक ऊर्जा भी खत्म होती है। तो आज इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कि गुड़ी पड़वा का पर्व क्यों और कैसे मनाया जाता है।

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गुड़ी पड़वा तिथि 2024

प्रतिपदा तिथि का आरंभ- 08 अप्रैल 2024 को रात 11:50 मिनट पर।

प्रतिपदा तिथि की समाप्त- 09 अप्रैल 2024 को रात 08:30 मिनट पर।


गुड़ी पड़वा पूजा विधि

अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक इस बार 09 अप्रैल 2024 को गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर विजय के प्रतीक के तौर पर घर में बेहद सुंदर-सुंदर गुड़ी लगाकर उसकी पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। साथ ही घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। मुख्य रूप से यह पर्व गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में मनाया जाता है। इस दिन घर में खास तरह के पकवान पूरनपोली, खीर और श्रीखंड आदि बनाया जाता है।


इसके अलावा गुड़ी पड़वा पर अपने घरों की सफाई कर मुख्य रंगोली बनाई जाती है। साथ ही आम या अशोक के पत्तों का अपने घर में तोरण बांधते हैं। वहीं घर के आगे झंडा लगाया जाता है और बर्तन पर स्वास्तिक बनाकर उस पर रेशम का कपड़ा लपेटकर रखा जाता है। गुड़ी पड़वा के मौके पर सूर्यदेव की आराधना के अलावा राम रक्षास्त्रोत, सुंदरकांड और देवी भगवती की पूजा और मंत्रों का जाप किया जाता है।


गुड़ी पड़वा से जुड़ी दिलचस्प बातें


नव संवत्सर के राजा

बता दें कि 09 अप्रैल 2024 से हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2081 की शुरूआत हो रही है। नए वर्ष के प्रथम दिन के स्वामी को पूरे साल का स्वामी माना जाता है। मंगलवार से हिंदू नववर्ष की शुरूआत हो रही है। इसलिए नए विक्रत संवत के स्वामी मंगलदेव होंगे। 


सृष्टि के निर्माण

मान्यता के अनुसार, गुड़ी पड़वा के दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना शुरू की थी और इसी दिन से सतयुग की शुरूआत हुई थी। इसलिए इसे सृष्टि का प्रथम दिन भी कहा जाता है। इस दिन नवरात्रि की घटस्थापना, ध्वजारोहण और संवत्सर की पूजा आदि की जाती है।


फसल की पूजा करने की परंपरा

गुड़ी पड़वा के मौके पर मराठियों के लिए नया हिंदू नववर्ष शुरू होता है। ऐसे में इस दिन लोग फसल की पूजा करते हैं।


नीम के पत्ते खाने की परंपरा

धार्मिक परंपरा के मुताबिक इस दिन नीम के पत्ते खाए जाते हैं। गुड़ी पड़वा के मौके पर नीम की पत्तियां खाने से खून साफ होने के साथ रोगों से मुक्ति मिलती है। 

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