इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म 'हसीना पारकर' अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर के जीवन पर आधारित है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे डॉन की बहन उसका कारोबार मुंबई में आगे बढ़ा रही है और लोगों के बीच का झगड़ा सुलझाने के लिए मोटी रकम लेकर काम करती है। निर्देशक अपूर्व लखिया ने जब फिल्म बनाने की घोषणा की थी तो लगा था कि वह ऐसी चीजें सामने लाएंगे जिन्हें दर्शकों ने अब तक सुना या जाना नहीं हो। लेकिन फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है जो दर्शक इससे पहले दाऊद और उसके परिवार के बारे में नहीं जानते हों। निर्देशक की सबसे बड़ी खामी तो हसीना पारकर के रोल में श्रद्धा कपूर को लेने की रही है।
कहानी में शुरू में दिखाया गया है कि कैसे कुछ गैंगवारों के बाद दाऊद बड़ा अपराधी और फिर आतंकी भी बन गया। उसके परिवार के लोगों पर भी विभिन्न तरह के आरोप लगे। हसीना पारकर की जगह निर्देशक ने दाऊद पर कुछ ज्यादा ही फोकस किया है और दिखाया है कि कैसे वह अपराध की दुनिया में आगे बढ़ता रहा और अय्याशी करता रहा। यही नहीं जब मुंबई में विस्फोट हुए तो वह बाथटब में आराम कर रहा था। हसीना पारकर कभी अपने काम को सही साबित करती हुई दिखाई देती है तो कभी बेवकूफी भरे काम करते दिखाई पड़ती है।
अभिनय के मामले में श्रद्धा कपूर अपने रोल के साथ न्याय नहीं कर पाई हैं। निर्देशक ने पता नहीं क्यों उन्हें अजीब-सी शक्ल में पेश किया है। वह भावशून्य सी दिखी हैं। डॉन की बहन की भूमिका में उनका चयन ही गलत रहा। अन्य सभी कलाकार सामान्य रहे हैं। कहानी बेहद उलझी हुई है। निर्देशक ने सनसनी दिखाने के चक्कर में कहीं भी कहानी को नये नये मोड़ प्रदान कर दिये हैं। फिल्म में मुंबई के ऐसे स्थानों पर ज्यादा फोकस किया गया है जो अपराध के गढ़ माने जाते हैं। निर्देशक अपूर्व लखिया को दाऊद के परिवार पर फिल्म बनाने से पहले थोड़ी और रिसर्च करनी चाहिए थी या इसमें इतनी नाटकीयता डालनी चाहिए थी कि दर्शकों को कुछ नया मिल पाता।
कलाकार- श्रद्धा कपूर, अंकुर भाटिया, सिद्धांत कपूर और निर्देशक अपूर्व लखिया।
- प्रीटी