By अभिनय आकाश | Oct 09, 2025
सुप्रीम कोर्ट में विशेष गहन पुनरीक्षण (एससीआर) मामले में सुनवाई के दौरान, भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) ने एक बड़ा आरोप लगाया। चुनाव आयोग ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल और एजेंसियां चुनाव निकाय के चल रहे प्रयासों में सहयोग करने के बजाय जनता की धारणा को आकार देने का प्रयास कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने सीधे-सीधे आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दल नैरेटिव सेट करना चाहते हैं। चुनाव आयोग के वकील ने याचिकाकर्ताओं के उस दावे को खारिज कर दिया जिसमें एक व्यक्ति का दावा है कि उसे ड्राफ्ट सूची से हटा दिया गया था। वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी का कहना है कि दिए गए पतों पर ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिला। न्यायमूर्ति सूर्यकांत का कहना है कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ऐसा कोई व्यक्ति मौजूद भी है। अधिवक्ता द्विवेदी का तर्क है कि याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन अदालत में हलफनामा दाखिल करने से पहले अपने दावों की पुष्टि नहीं कर रहे हैं।
कार्यकर्ता योगेंद्र यादव का कहना है कि बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण में मतदाताओं की संख्या में सबसे बड़ी कमी आई है, जो 47 लाख है। हालाँकि सितंबर 2025 तक बिहार में वयस्क जनसंख्या का आधिकारिक अनुमान 8.22 करोड़ है (जिनके नाम मतदाता सूची में होने चाहिए थे), अंतिम सूची में मतदाताओं की संख्या 7.42 करोड़ है। इस प्रकार, 80 लाख यानी बिहार की कुल वयस्क जनसंख्या का लगभग 10% मतदाता अपने मताधिकार से वंचित रह गए हैं। वयस्क जनसंख्या और मतदाताओं के अनुपात में इतनी तीव्र गिरावट भारत और बिहार के लिए एक रिकॉर्ड है। देश के किसी भी राज्य में इससे पहले 10% से अधिक मतदाताओं को मतदाता सूची से बाहर नहीं किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट को चुनावी राज्य बिहार में एसआईआर कराने के चुनाव आयोग के 24 जून के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखेगा। 7 अक्टूबर, 2025 को कोर्ट ने चुनाव आयोग से उन 3.66 लाख मतदाताओं का विवरण मांगा, जो मसौदा मतदाता सूची का हिस्सा थे, लेकिन बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद तैयार की गई अंतिम मतदाता सूची से बाहर हो गए। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में भ्रम की स्थिति है।