By नीरज कुमार दुबे | Aug 18, 2025
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री का नेपाल दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा। यह दौरा नेपाल के विदेश सचिव अमृत बहादुर राय के निमंत्रण पर हुआ और इसे द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा तथा उसे आगे बढ़ाने के प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा गया है। हम आपको बता दें कि विक्रम मिस्री ने अपनी यात्रा की शुरुआत प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से औपचारिक मुलाकात करके की। इस बैठक में ओली के मुख्य सलाहकार विष्णु प्रसाद रिमाल, भारत के नेपाल में राजदूत नवीन श्रीवास्तव और नेपाली विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। विदेश सचिव मिस्री की मुलाकात नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल, विदेश मंत्री अरजू राणा देउबा तथा पूर्व प्रधानमंत्रियों शेर बहादुर देउबा और पुष्प कमल दाहल ‘प्रचंड’ से भी हुई। इन बैठकों का उद्देश्य व्यापार, संपर्क, ऊर्जा सहयोग और क्षेत्रीय विकास जैसे अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श करना है।
कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार, यह दौरा नेपाली प्रधानमंत्री ओली की आगामी भारत यात्रा की भूमिका तैयार करने के लिए भी है। अनुमान है कि ओली 16 सितंबर के आसपास नई दिल्ली आएँगे, हालांकि इसकी आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है। इसके अलावा, बोधगया (बिहार) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओली की अलग बैठक की भी तैयारी की जा रही है। यह स्थल सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से गहरी महत्ता रखता है, जो दोनों देशों के बीच सिविलाइज़ेशनल कनेक्ट को और प्रगाढ़ कर सकता है।
हम आपको बता दें कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने विक्रम मिस्री की यात्रा को "नियमित उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान की परंपरा" का हिस्सा बताते हुए कहा कि भारत की ‘Neighbourhood First’ नीति में नेपाल को विशेष प्राथमिकता प्राप्त है। दूसरी ओर, नेपाल के विदेश मंत्रालय ने भी अपने बयान में यह स्पष्ट किया है कि वार्ताओं का फोकस संपर्क, ऊर्जा और विकास सहयोग को मजबूत करने पर रहा।
देखा जाये तो भारत-नेपाल संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से गहरे जुड़े हुए हैं, किंतु हाल के वर्षों में राजनीतिक असहमति और सीमा विवादों के कारण कई बार तनाव भी देखने को मिला। विक्रम मिस्री का यह दौरा ऐसे समय हुआ जब नेपाल की राजनीति में अस्थिरता है और चीन भी लगातार नेपाल में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।
इस संदर्भ में भारत के लिए यह अवसर है कि वह नेपाल को विश्वास में लेकर ऊर्जा, व्यापार और संपर्क परियोजनाओं में सक्रिय भागीदारी दिखाए। वहीं नेपाल के लिए यह अवसर है कि वह अपनी आर्थिक प्रगति के लिए भारत से करीबी सहयोग बनाए रखे और क्षेत्रीय विकास में साझेदारी को गहरा करे। देखा जाये तो यह दौरा दोनों देशों के बीच हाल के वर्षों में बने अविश्वास को कम करने और नए राजनीतिक व कूटनीतिक संतुलन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है।
देखा जाये तो विदेश सचिव विक्रम मिस्री की यह यात्रा महज औपचारिक मुलाकातों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत-नेपाल संबंधों में नए विश्वास और सहयोग का सेतु बनने की क्षमता रखती है। अगर प्रधानमंत्री ओली की भारत यात्रा इस सकारात्मक माहौल को और मजबूत करती है, तो आने वाले समय में भारत-नेपाल संबंधों का नया अध्याय शुरू हो सकता है, जो पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता और विकास के लिए महत्वपूर्ण होगा।
इसके अलावा, विदेश सचिव विक्रम मिस्री का नेपाल दौरा ऐसे समय पर हुआ है जब नेपाल की राजनीति में अस्थिरता, चीन की सक्रियता और पाकिस्तान के गुप्त प्रयास— तीनों मिलकर भारत की रणनीतिक चिंताओं को बढ़ा रहे हैं। एक ओर, पाकिस्तान लगातार नेपाल की धरती का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए करने की कोशिश करता रहा है। फर्जी भारतीय करेंसी, जासूसी नेटवर्क और आतंकी लॉजिस्टिक सपोर्ट जैसे मामलों में अतीत में नेपाल का नाम जुड़ चुका है। हालिया घटनाएँ इस खतरे को और गंभीर बनाती हैं। ऐसे में मिस्री की यात्रा इस दिशा में कूटनीतिक सतर्कता और नेपाल को विश्वास में लेकर सुरक्षा सहयोग बढ़ाने का संकेत है।
इसके अलावा, चीन पिछले एक दशक में नेपाल में सड़क, हाइड्रोपावर और व्यापारिक समझौतों के जरिए गहरी पैठ बना चुका है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत कई परियोजनाएँ नेपाल में प्रगति पर हैं। यह भारत के लिए रणनीतिक चुनौती है, क्योंकि चीन नेपाल को अपनी भौगोलिक "buffer zone" के बजाय राजनीतिक प्रभाव क्षेत्र बनाने की कोशिश कर रहा है। मिस्री का यह दौरा इस संदेश के साथ देखा जा सकता है कि भारत अभी भी नेपाल का विश्वसनीय और निकटतम साझेदार है। दूसरी ओर, भारत लंबे समय से "Neighbourhood First" नीति पर जोर देता आया है। मिस्री का दौरा यह स्पष्ट करता है कि नेपाल इस नीति का केंद्रबिंदु है।
बहरहाल, कुल मिलाकर विक्रम मिस्री की यह नेपाल यात्रा भारत के लिए रणनीतिक और राजनीतिक दोनों दृष्टियों से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल प्रधानमंत्री ओली की आगामी भारत यात्रा की तैयारी है, बल्कि नेपाल की जनता और नेतृत्व को यह विश्वास दिलाने का भी प्रयास है कि भारत ही उनका सबसे निकटतम मित्र और साझेदार है। पाकिस्तान और चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच यह यात्रा भारत-नेपाल रिश्तों में स्थिरता और गहराई लाने का अवसर है।