By अभिनय आकाश | Mar 12, 2022
10 जून 1948 की वो तारीख जब डॉन ब्रैडमैन ऐलान करके अपने करियर की आखिरी सीरीज खेलने उतरे। ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी प्रतिद्वंदी इंग्लैंड के साथ एशेज श्रृंखला में ट्रेंडब्रिज के क्रिकेट मैदान में दर्शकों की खचाखच भड़ी भीड़ के बीच टेस्ट मैच के दूसरे दिन ब्रैडमैन को बल्लेबाज़ी का अवसर मिला। खेल के दूसरे दिन ऑर्थर के बोल्ड होते ही मैदान में लेजेंड सर डॉन ब्रैडमैन की एंट्री हुई। ढीली-ढाली शर्ट और ऊंची पेट तक चढ़े पैंट वाले ब्रैडमैन ने पहली पारी में मैदान पर उतरते ही 138 रन ठोक डाले। ऑस्ट्रेलिया के सामने दूसरी पारी में जीत के लिए टीम 58 रनों के लक्ष्य हासिल करने उतरी। लेकिन इस बार डॉन ब्रैडमैन 0 पर आउट हो गए। 94 साल की उम्र में अपने आखिरी चुनाव में पंजाब के लोगों ने उन्हें ऐसा फेयरवेल गिफ्ट दिया जो उन्हें हमेशा याद रहेगा। बादल अपना 12वां विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे और इस बार वो जीत जाते तो लगभग 100 की उम्र तक पंजाब के विधायक बने रहते। इसी तरह अगर डॉन ब्रैडमैन अपनी आखिरी पारी में 4 रन बना लेते तो उनका टेस्ट औसत लेकिन वो उस दिन 0 पर आउट हो गए। ठीक उसी तरह बादल भी अपनी आखिरी पारी में 0 पर आउट हो गए।
बादल को आखिरी चुनावी पारी में खाली हाथ लौटाया
बादल को उनके आखिरी इनिंग में बैरंग लौटाने वाले राजनेता को जायंट किलर कहा जा सकता है। जब कोई खिलाड़ी अप्रत्याशित रूप से एक अधिक मजबूत प्रतिद्वंद्वी को हरा देता है तो उसे जायंट किलर कहा जाता है। राजनीति में भी ऐसे ही नाम हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सुब्रत पाठक कन्नौज में डिंपल यादव को हराया। स्मृति ईरानी जिन्होंने राहुल गांधी को अमेठी में हराया। केपी यादव ने गुणा में ज्योतिरादित्य सिंधिया को मात दी थी। इस बार ये कारनामा पूर्व सांसद दिवंगत जगदेव सिंह खुडियां के बेटे और आम आदमी पार्टी के उम्मीद वार गुरमीत सिंह खुडियां ने कर दिखाया है। लंबी विधानसभा सीट पर भी आम आदमी पार्टी की झाड़ू चली है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, आप उम्मीदवार गुरमीत सिंह खुदियां ने प्रकाश सिंह बादल को 11,396 मतों के अंतर से हराया है।
1992 को छोड़कर 1969 से लगातार हैं विधायक
प्रकाश सिंह बादल मौजूदा वक्त में पंजाब की राजनीति के 'पितामह' हैं। बादल रेकॉर्ड पांच बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं और 10 बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। 1957 का चुनाव जीतने के अलावा 1969 से वह लगातार राज्य विधानसभा के चुनाव जीतते आ रहे हैं। सिर्फ एक बार 1992 में वह राज्य विधानसभा के सदस्य नहीं रहे, क्योंकि उसी साल अकालियों ने चुनावों का बहिष्कार किया था।
कभी कैप्टन के कवरिंग कैंडिडेट रह चुके हैं गुरमीत सिंह
गुरमीत सिंह खुदियां पिछले लंबे समय से राजनीति के साथ जुड़े हुए हैं। पहले शिअद (मान) के साथ थे और फिर कांग्रेस के साथ जुड़ गए थे। उन्होंने लंबा समय कांग्रेस में काम किया और श्री मुक्तसर साहिब के जिला प्रधान भी रहे। वर्ष 2017 के विस चुनाव में वह लंबी से चुनाव मैदान में उतरे कैप्टन अमरिंदर सिंह के कवरिंग कैंडीडेट भी रहे। लेकिन बाद में वो आम आदमी पार्टी के साथ हो लिए और आप ने उन्हें लंबी से बादल के खिलाफ मैदान में उतार दिया।