By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 13, 2018
नयी दिल्ली। सरकार की हवाईअड्डों के लिए मुद्रास्फीति से संबद्ध पूर्व-निर्धारित शुल्क ढांचा तैयार करने की योजना है। इसका मकसद तेजी से बढ़ रहे विमानन क्षेत्र में निवेश के आड़े आ रही समस्या को हल करना है। वर्तमान में देश के भीतर हवाईअड्डों के लिए लागत आधारित शुल्क ढांचा है। इसके तहत प्रत्येक हवाईअड्डे के लिए हर पांच साल में दरें तय की जाती हैं, जिसे रियायत अवधि के तौर पर जाना जाता है।
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के चेयरमैन गुरुप्रसाद महापात्रा ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हवाईअड्डों के शुल्क में बड़े पैमाने पर अंतर होने से घरेलू और विदेशी विमानन कंपनियों के समक्ष एक बड़ी चुनौती खड़ी होती है क्योंकि उन्हें इसकी वसूली यात्रियों से करनी होती है।’’उन्होंने कहा कि बहुत से घरेलू एवं वैश्विक निवेशकों और ऋणदाताओं ने भारतीय बाजार में निवेश नहीं करने की एक बड़ी वजह यही बतायी है।
जबकि भारत दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता विमानन बाजार है। सार्वजनिक क्षेत्र का भारतीय विमानन प्राधिकरण देश के 120 हवाईअड्डों का प्रबंधन देखता है। उल्लेखनीय है कि इस संबंध में सरकार ने 18 जुलाई को लोकसभा में भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण (एरा) अधिनियम में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश किया है। इसमें हवाईअड्डों के लिये नये शुल्क ढांचे का प्रावधान किया जायेगा साथ ही प्रमुख हवाईअड्डों की परिभाषा में भी बदलाव किया जायेगा। एरा एक स्वतंत्र आर्थिक नियामक है जो कि हवाईअड्डों, एयरलाइंस और यात्री सभी के हितों की सुरक्षा करता है।