By अनन्या मिश्रा | Sep 10, 2025
उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे गोविंद बल्लभ पंत का आज ही के दिन यानी की 10 सितंबर को जन्म हुआ था। गोविंद बल्लभ पंत ने अपने राजनीतिक करियर में जितना बड़ा मुकाम हासिल किया था, उतनी ही ज्यादा उनकी निजी जिंदगी उतार-चढ़ाव भरी रही थी। वह यूपी के पहले सीएम होने के अलावा भारत के चौथे गृहमंत्री भी रहे थे। उन्होंने एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रुप में कार्य करते हुए जेल की यात्रा की थी। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर गोविंद बल्लभ पंत के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के खूंट गांव में 10 सितंबर 1887 को गोविंद बल्लभ पंत का जन्म हुआ था। उन्होंने साल 1907 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया था। फिर साल 1909 में यहां से उन्होंने लॉ की डिग्री हासिल की। पंत कॉलेज दिनों से ही राजनीतिक रैलियों में हिस्सा लेने लगे। साल 1905 में वह पहली बार बनारस में कांग्रेस के एक कैंप में कार्यकर्ता के तौर पर शामिल हुए। उस कैंप की अध्यक्षता गोपाल कृष्ण गोखले कर रहे थे।
साल 1899 में पहली बार गोबिंद बल्लभ पंत की 12 साल की उम्र में गंगा देवी से विवाह हुआ। लेकिन 1909 में उनकी पत्नी का बीमारी से निधन हो गया था। वहीं साल 1912 में पंत जी का दूसरा विवाह हुआ, लेकिन साल 1914 में उनकी दूसरी पत्नी की भी मृत्यु हो गई। जिसके बाद साल 1916 में पंत जी ने तीसरी शादी की थी। इस शादी से उनके एक पुत्र और दो पुत्रियों की प्राप्ति हुई।
साल 1905 में गोबिंद बल्लभ पंत ने अल्मोड़ा छोड़ दिया और इलाहाबाद चले गए। इस दौरान वह म्योर सेन्ट्रल कॉलेज में साहित्य, गणित और राजनीतिक विषयों पढ़ाई की। साल 1910 में उन्होंने अल्मोड़ा आकर वकालत करना शुरूकर दी। साल 1914 में पंत जी के प्रयासों से 'उदयराज हिंदू हाईस्कूल' की स्थापना की। वहीं उनका मुकदमा लड़ने का ढंग निराला था।
पंत जब वकालत करते थे तो एक दिन वह गिरीताल घूमने चले गए। इस दौरान उन्होंने देखा कि दो नौजवान लड़के स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में चर्चा कर रहे थे। इसी के बाद से गोबिंद बल्लभ पंत ने राजनीति में आने का मन बनाना शुरूकर दिया, उन्होंने राजनीति में बड़ा कद हासिल किया।
जब साइमन कमीशन विरोध के दौरान गोबिंद बल्लभ पंत को पीटा गया, तो उस घटना में एक ऐसा पुलिस अफसर शामिल था। फिर पंत के सीएम बनने के बाद वह उनके अंडर में काम करने लगा था। जब यह बात पंत को पता चला, तो उन्होंने उस पुलिस अफसर को मिलने के लिए बुलाया। लेकिन पंत ने उससे अच्छे से बात की और अपना काम ईमानदारी से करने की नसीहत दी।
गोबिंद बल्लभ पंत ने पंडित जवाहर लाल नेहरू के कई कार्यों का खुलकर विरोध भी किया था। जब इंदिरा गांधी को प्रेसिडेंट बनाया था, तो पंत ने इसका विरोध किया। वहीं जमींदारी प्रथा को खत्म कराने में पंतजी का अहम योगदान रहा था। साल 1946 से दिसंबर 1954 तक वह यूपी के सीएम रहे। 21 मई 1952 को उन्होंने जमींदारी उन्मूलन कानून को प्रभावी बनाया।
देश के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल की मृत्यु के बाद नेहरू को एक ऐसे राजनीतिज्ञ की तलाश थी, जो उनके जैसा प्रभावशाली और दृढ़इच्छा शक्ति वाला हो। तब पंडित नेहरू ने गोबिंद बल्लभ पंत से देश का गृह मंत्रालय संभालने की अपील की। साल 1955 से लेकर 1961 तक गृहमंत्री के रूप में गोबिंद बल्लभ पंत ने कई ऐतिहासिक और सराहनीय कार्य किए थे।
वहीं 07 मार्च 1961 को गोबिंद बल्लभ पंत का निधन हो गया था।