By अनन्या मिश्रा | Apr 20, 2023
कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर हमलावर हैं। भाजपा ने अपने 10 उम्मीदवारों की तीसरी लिस्ट जारी कर दी है। बता दें कि बीजेपी ने नए चेहरे महेश तेंगिनाकाई को हुबली धारवाड़ विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है। इसी सीट पर टिकट न मिलने से नाराज पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार ने भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस का साथ पकड़ लिया था। शेट्टार अब कांग्रेस के टिकट से हुबली धारवाड़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं महेश तेंगिंकाई ने शेट्टार को अपना गुरु बताते हुए कहा कि यह लड़ाई गुरु और शिष्य के बीच की है।
शेट्टार ने कसा तंज
हाल ही में बीजेपी से इस्तीफा दे चुके शेट्टार ने बीएल संतोष पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के सभी विधानसभा क्षेत्रों में जो भी हो रहा है, उससे लिंगायक समुदाय के लोग परेशान हैं। बीएल संतोष का रवैया पार्टी की पूरी प्रणाली को प्रभावित कर रहा है। बीजेपी को उस दौरान बड़ा झटका लगा था, जब लिंगायत समुदाय के बड़े नेता जगदीश शेट्टार नेता टिकट न मिलने से पार्टी से नाराज हो गए और उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने का फैसला कर लिया।
लिंगायत समुदाय में शेट्टार की पकड़
बता दें कि हुबली धारवाड़ विधानसभा सीट जगदीश शेट्टार विधायक थे। इसके अलावा वह साल 2012-13 में राज्य के सीएम भी रहे हैं। साल 2018 के चुनावों में इस सीट से शेट्टार ने बड़े अंतर में शानदार जीत दर्ज की थी।
वहीं महेश तेंगिनाकाई पहली बार चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं। वह वर्तमान में राज्य में बीजेपी के प्रदेश महासचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। आपको बता दें कि तेंगिनाकाई भी लिंगायत समुदाय के कद्दावर नेता माने जाते हैं। साथ ही उनकी हुबली धारवाड़ निर्वाचन क्षेत्र में अच्छी खासी पकड़ भी है। तेंगिनाकाई करीब दो दशकों से भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं। हालांकि जगदीश शेट्टार 6 बार विधायक रह चुके हैं। वहीं तेंगिनाकाई पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं।
हालांकि रणनीतिकारों की मानें तो इस सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला है। उसकी एक वजह यह भी है कि दोनों ही नेता लिंगायत समुदाय में अच्छी पकड़ रखते हैं। साथ ही संगठन पर भी दोनों नेताओं की अच्छी पकड़ है। बता दें कि जगदीश शेट्टार को सियासत विरासत में मिली है। शेट्टार परिवार की इस क्षेत्र में अच्छी पकड़ बनी हुई है। वहीं बीजेपी का अनुमान है कि पार्टी नए चेहरों के भरोसे बड़े लिंगायत नेताओं की नाराजगी को मात दे सकती है।