By अनन्या मिश्रा | Sep 22, 2025
हर साल 22 सितंबर को सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की पुण्यतिथि मनाई जाती है। इस दिन हर गुरुद्वारे में गुरुवाणी का पाठ किया जाता है। समाज में बढ़ रही कुरीतियों को देखकर गुरु नानक देव आहत होते थे और उनको बदलना चाहते थे। गुरु नानक देव एक दार्शनिक थे, जिस कारण उन्होंने यह भांप लिया था कि समाज में फैली कुरीतियां न सिर्फ समाज को खोखला कर रही हैं, बल्कि इससे मनुष्य पतन की ओर जा रहा है। गुरु नानक देव एक महान दार्शनिक, धर्म के ज्ञाता और समाज सुधाकर थे। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर गुरु नानक देव के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
कार्तिक मास की पूर्णिमा को 15 अप्रैल 1469 को रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नामक स्थान पर गुरु नानक देव का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम मेहता कालू और माता जी का नाम तृप्ता था। आगे चलकर इस स्थान का नाम ननकाना साहिब पड़ा। बताया जाता है कि गुरु नानक देव जी बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे और उनके साथ बचपन में कई चमत्कारिक घटनाएं घटीं। इसके बाद गांव के लोग उनको दिव्य पुरुष मानने लगे थे।
गुरु नानक देव के अनुयायी उनको नानकदेव, नानक, बाबा नानक और नानक शाह जी के नामों से संबोधित करते हैं। गुरु नानक देव ने 'इक ओंकार' का संदेश फैलाया था। गुरु नानक देव जी का मानना था कि परम-पिता परमेश्वर एक हैं, इसलिए हमेशा एक ईश्वर की साधना में मन लगाना चाहिए। हर व्यक्ति को ईमानदारी और मेहनत से अपना पेट भरना चाहिए।
गुरु नानक देव ने 1500CE में सिख धर्म की स्थापना की थी। वह अपने मोक्ष के उपदेश और आत्मज्ञान से समाज के मार्गदर्शन बने थे। गुरु नानक देव ने हिंदू और इस्लाम दोनों धर्मों के विश्वासों से अलग एक सोच और समुदाय तैयार किया था। गुरु नानक देव ने करीब 30 सालों तक तिब्बत, भारत और अरब जैसे देशों में आध्यात्मिक यात्राएं की। इस दौरान वह जीवन, मरण और ईश्वर के मुद्दों पर अपने विचारों के आधार पर लोगों को उपदेश देने लगे। सिख धर्म के 10 गुरुओं में गुरु नानक देव जी का नाम सबसे पहले आता है।
बता दें कि गुरु नानक देव जी ने अपनी यात्राओं के दौरान कई जगह पर डेरा जमाया था। उन्होंने समाज की कुरीतियों का विरोध किया था। गुरु नानक देव ने मूर्ति पूजा को निर्थक माना और रूढ़िवादी सोच का भी विरोध किया। गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन का आखिरी समय पाकिस्तान के करतारपुर में बिताया था। वहीं 22 सितंबर 1539 को गुरु नानक देव की मृत्यु हो गई।