हर्षवर्धन ने लोकसभा में सरोगेसी विनियमन विधेयक 2019 किया पेश

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 15, 2019

नयी दिल्ली। लोकसभा में सोमवार को सरोगेसी विनियमन विधेयक 2019 पेश किया गया जिसमें देश में व्यावसायिक मकसद से जुड़ी किराये की कोख :सरोगेसी: पर रोक लगाने, सरोगेसी पद्धति का दुरुपयोग रोकने और नि:संतान दंपतियों को संतान का सुख दिलाना सुनिश्चित करने का प्रस्ताव किया गया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्षवर्द्धन ने निचले सदन में विधेयक पेश किया।विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षो में भारत विभिन्न देशों के दंपतियों के लिये किराये की कोख के केंद्र के रूप में उभर कर आया है। अनैतिक व्यवहार, सरोगेट माताओं के शोषण, सरोगेसी से उत्पन्न बालकों के परित्याग और मानव भ्रूणों और युग्मकों के आयात की सूचित घटनाएं हुई हैं।

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पिछले कुछ वर्षो में विभिन्न प्रिंट और इलेक्ट्रानिक संचार माध्यमों में भारत में वाणिज्यिक सरोगेसी की व्यापक भर्त्सना हुई है। भारत के विधि आयोग ने अपनी 228वीं रिपोर्ट में उपयुक्त विधान के माध्यम से वाणिज्यिक सरोगेसी का निषेध करने की सिफारिश की है। सरोगेसी विनियमन विधेयक 2019 अन्य बातों के साथ साथ राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सरोगेसी बोर्डो के गठन का उपबंध करता है। इसमें 23 से 50 वर्ष तथा 26 से 55 वर्ष के क्रमश: महिला और पुरूष अनुर्वर (संतान पैदा करने में अक्षम) भारतीय दंपति को नैतिक सरोगेसी का उल्लेख किया गया है।ऐसा आशय रखने वाले दंपति कम से कम पांच वर्ष से विधिपूर्वक विवाहित होने चाहिए और सरोगेसी या सरोगेसी प्रक्रियाओं को करने के लिये भारत का नागरिक होना चाहिए। सरोगेट माता आशय वाले दंपति की निकट नातेदार होना चाहिए और वह पहले से विवाहित होनी चाहिए जिसका स्वयं का बालक हो।इसमें उपबंध किया गया है कि कोई व्यक्ति, संगठन, सरोगेसी क्लिनिक, प्रयोगशाला या किसी भी किस्म का नैदानिक प्रतिष्ठापन वाणिज्यिक सरोगेसी के संबंध में विज्ञापन, वाणिज्यिक सरोगेसी के माध्यम से उत्पन्न बालक का परित्याग, सरोगेट माता का शोषण, मानव भ्रूण का विक्रय या सरोगेसी के मकसद से मानव भ्रूण का निर्यात नहीं करेगा। 

 

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