हिंदी को साहित्य तक सीमित रखकर उसका विकास नहीं हो सकता

By प्रेस विज्ञप्ति | May 07, 2022

भारतीय रेल के पूर्व महानिदेशक विजय कुमार मल्होत्रा ने साहित्यकार तिथिवार की मंथन कार्यशाला में कहा। दिल्ली के हरियाणा भवन में आयोजित इस एक- दिवसीय कार्यशाला में देश- विदेश से प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। दिल्ली के हरियाणा भवन में आयोजित इस मंथन कार्यशाला में परियोजना के भविष्यगत संभावनाओं और कार्यशैली पर विचार विमर्श हुआ। एक अंतरराष्ट्रीय स्वयं सेवी समूह 'हिंदी से प्यार है' के कार्यकर्ताओं तथा हिंदी सेवा में समर्पित विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने इस कार्यशाला में हिस्सा लिया। रेलवे बोर्ड के पूर्व कार्यकारी निदेशक और स्वयं एक लेखक प्रेमपाल शर्मा ने विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में हिंदी की उपेक्षा पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए उनके उपायों पर गम्भीर कार्य करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जब हम अपनी भाषा जानते हैं तो अन्य दूसरी भाषाओं को सीखना समझना आसान हो जाता है। 

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इस दौरान साहित्य साधना के माध्यम से साहित्य की सेवा में जुटे पुरोधाओं को समाज के बीच लाने की इस अभियान पर सार्थक चर्चा हुई। कार्यक्रम की बागडोर साहित्यकार तिथिवार की त्रि- सदस्यीय दल ने संभाली जिसमें सिंगापुर से शार्दुला नोगजा, बैंगलोर से दीपा लाभ और दिल्ली से सृष्टि भार्गव शामिल हैं। साहित्य जगत से निर्देश निधि व प्रताप नारायण सिंह ने मौजूदा जरूरतों और साहित्य में विज्ञान, तकनीकी, पर्यावरण जैसे विभिन्न विषयों को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इन विषयों पर समुचित संदर्भ संरक्षित करने की आवश्यकता है और उस पर शोध कर हमें नवीन तथ्यों को प्रस्तुत करना होगा। इसी संकल्प के लिए हम सब जुटें।

कवयित्री शार्दुला नोगजा ने परियोजना की भूमिका बताते हुए कहा कि किसी भी साहित्यकार पर शोध परख लेख लिखना बेहद कठिन कार्य है जिसे हम पिछले छः महीनों से अनवरत और सफलतापूर्वक चला रहे हैं। लेखिका दीपा लाभ ने लेखों की गुणवत्ता और हिंदी साहित्य के समृद्ध संसार को जनमानस तक ले जाने पर बल दिया। हिंदी सेवी सृष्टि भार्गव ने आजीवन हिंदी सेवा करने का प्रण लेते हुए कहा कि यह सिर्फ भाषा नहीं, बल्कि संस्कार है जो हमें हमारी जड़ों से जोड़कर रखता है। 

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रेडियो उद्घोषिका विनीता कामदारी ने कहा कि भाषा की गरीमा हमारे व्यक्तित्व को प्रदर्शित करता है। हम भाषा को लेकर जितना संवेदनशील होंगे उतने ही सांस्कृतिक मसलों पर समाज के बीच सार्थक तत्वों को प्रस्तुत कर पाएंगे। वस्त्र मंत्रालय में बतौर डिजाइनर अर्चना उपाध्याय हिंदी को लोककला तथा लोक जीवन से जोड़कर प्रस्तुत करने की आवश्यकता बताई। इस अवसर पर कुंवर नारायण की उपस्थिति ने सबके मन में जोश का संचार कर दिया। कार्यशाला में परियोजना से जुड़े लेखकों एवं संपादकों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। अपने अपने हिस्से की जिम्मेदारी समझते हुए सभी ने हिंदी सेवा का प्रण लेकर कार्यशाला का समापन किया।

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