कवयित्री प्रतिभा तिवारी की जीवन और मोहब्बत पर लिखित कविता 'दिल से दिल की' आमजन की भावनाओं का सफलतापूर्वक प्रकटीकरण करती है।
दिल से दिल की तो जाने दो
अब तो अल्फ़ाज़ भी
बेसुरे से लगते हैं
एक जमाना था
जब ख्वाबों में ही
ख्वाब पूरे होते थे
अब तो ख्वाबों में भी
ख्वाब अधूरे से लगते हैं,
एक जमाना था
जब रात भर जागकर बिताते थे
फिर भी नींद पूरी सी लगती थी
आज ना जाने क्यों
नींद और रात दोनों ही
अधूरी सी लगती है,
कमियां तो होंगी कुछ हममें
शायद जिसका हमें एहसास नहीं
हममें सच सुनने की हिम्मत भी है
पर शायद उनके लिए
हम कोई खास नहीं
मोहब्बत की लकीरें आज भी
उतनी ही गहरी हैं
बस उन लकीरों पर
समय रूपी नाव आ ठहरी है
-प्रतिभा तिवारी