नवरात्र में माँ फिर आईं हैं (कविता)

By डॉ नीलम महेंद्र | Apr 08, 2019

नवरात्र में माँ फिर आईं हैं

प्रकृति ने भी धरती सजाई है

शाखों पर नए पत्ते शर्मा रहे हैं

पेड़ों पर नए पुष्प इठला रहे है

खेतों में नई फसलें लहलहा रही हैं

चिड़ियाँ चहक रही हैं कोयल गा रही है

सम्पूर्ण सृष्टि स्वागत गान गा रही है

हे शक्ति की देवी समृद्धि की देवी

यश की देवी आरोग्य की देवी

सुख की देवी जय की देवी

तुम्हारे आशीर्वाद की सदा हम पर कृपा हो

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

 

- डॉ नीलम महेंद्र

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