By अभिनय आकाश | Dec 10, 2025
शेख हसीना के तख्तापलट के बाद पिछले 18 महीनों से बांग्लादेश की सियासत में उठापटक का दौर जारी है। अब आखिरकार बुधवार यानी 10 नवंबर को आम चुनावों का बिगुल बजने जा रहा है। ढाका में चुनाव आयोग जातीय संसद की 300 सीटों के लिए शेड्यूल का ऐलान करेगा। लेकिन इस बार का चुनाव पिछली बार जैसा बिल्कुल भी नहीं है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी यानी बीएनपी जमात और एनसीपी जैसी पार्टियां सत्ता के लिए आमने-सामने हैं। इस चुनावी जंग में सबसे ज्यादा चर्चा मुस्लिम राष्ट्र कहे जाने वाले बांग्लादेश के हिंदू वोटरों की हो रही है। ऐसा क्यों कहा जा रहा है? इस बार की सत्ता की चाबी हिंदू समुदाय के हाथों में होगी। बांग्लादेश में कितने हैं हिंदू वोटरों की तादाद है और कैसे 20 सीटें किसी भी पार्टी का खेल बना या बिगाड़ सकती हैं। आज का एमआरआई इसी पर करेंगे।
बांग्लादेश में सरकार बनाने के लिए बीएनपी, जमात और एनसीपी जैसी तीन बड़ी पार्टियां सत्ता पाने के लिए मैदान में उतरेंगी। तीनों ही पार्टियों ने इसके लिए जमीन पर गोलबंदी शुरू कर दी है। लेकिन खास बात यह है कि सबसे ज्यादा चर्चा हिंदू वोटरों की हो रही है। हिंदू मतदाताओं को रिझाने के लिए जमात जैसी कट्टर मुस्लिम पार्टी भी खूब मेहनत कर रही है। कहा जा रहा है कि इस बार बांग्लादेश में सत्ता की चाबी हिंदू वोटरों के हाथ में होने वाली है। बांग्लादेश में 300 सीटों पर चुनाव, बांग्लादेश की जातीय संसद यानी निचला सदन में 300 सीटें हैं। जिस पर चुनाव प्रस्तावित है। सरकार बनाने के लिए 151 सीटों पर जीत ज़रूरी है। 2008 से लगातार बांग्लादेश में आवामी लीग को जीत मिलती रही है। 2021 में आम चुनाव में तो आवामी लीग ने एक तरफ़ा जीत हासिल की थी। हालांकि इस चुनाव में लीग पर धांधली के आरोप भी लगे थे। इस बार का सिनेरियो थोड़ा सा बदला हुआ है। बांग्लादेश की सियासत से आवामी लीग इस बार चुनावी मैदान से पूरी तरह से आउट है। इसके बदले तीन पार्टियां मैदान में हैं।
बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी ने सात समविचारी दलों के साथ मिलकर एक प्रभावशाली 8-दलीय इस्लामी गठबंधन खड़ा किया है, जो आगामी चुनाव और जनमत-संग्रह दोनों में निर्णायक भूमिका निभाने की तैयारी में है। यह गठबंधन 300 सीटों पर साझा उम्मीदवार उतारेगा। इसे जमात का नेतृत्व दिशा दे रहा है, जबकि खिलाफत मजलिस के अहमद अब्दुल कादेर और हमीदुर रहमान अजाद जैसे नेता प्रमुख चेहरे हैं। इस गठबंधन की रूढ़िवादी मतदाताओं, ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में मजबूत पकड़ है।
पिछले वर्ष के छात्र आंदोलन से निकली नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) अपनी तेज राजनीतिक उभार के साथ अब 'गोनोतांत्रिक संस्कार जोट' का नेतृत्व कर रही है। इसकी साझेदार जमात की शाखा आमार बांग्लादेश पार्टी और राष्ट्र संस्कार आंदोलन हैं। 35 वर्ष से कम उम्र के मतदाताओं में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। संयोजक नाहिद इस्लाम इसका चेहरा हैं, जो अंतरिम सरकार की सलाहकार परिषद से भी जुड़े रहे हैं। इस गठबंधन को शहरी मध्यम वर्ग और युवाओं पर आधारित है।
अवामी लीग के वर्षों तक सहयोगी रहे जाटिया पार्टी (जापा-अनिसुल) और जेपी-मनजू ने अब 18 दलों को साथ लेकर नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (एनडीएफ) बनाया है। इस गठबंधन का नेतृत्व पूर्व मंत्री अनिसुल इस्लाम महमूद कर रहे हैं, अनवर हुसैन मनजू इसके मुख्य सलाहकार हैं। मंच पर काजी फिरोज राशिद, मुजीबुल हक चन्नू, बाबला समेत कई पूर्व सांसद भी मौजूद थे। यह गठबंधन पुराने प्रशासनिक और राजनीतिक नेटवर्क पर टिके होने के साथ-साथ संभावित अंतरराष्ट्रीय समर्थन का संकेत है।
इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना और 13 अन्य के खिलाफ मानवता विरोधी अपराधों में 14 दिसंबर 2025 को औपचारिक आरोप तय करने की तारीख रखी है। यह मामला अवामी लीग शासनकाल के दौरान संचालित गुप्त हिरासत केंद्र 'आईनाघर' से जुड़ा है, जहां जबरन गायब करने, अवैध हिरासत और यातना के आरोप लगाए गए हैं। अभियोजन ने 8 अक्टूबर को औपचारिक शिकायत दाखिल की, जिसके बाद ट्रिब्यूनल ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया। 22 अक्टूबर को 3 वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को जेल भेजा गया, जबकि फरार आरोपियों के लिए अखबारों में नोटिस प्रकाशित कराए गए। इस मामले में 23 नवंबर को आरोप-निर्धारण की प्रक्रिया आगे बढ़ी।