By रेनू तिवारी | Jun 07, 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू और कश्मीर में उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक (USBRL) परियोजना के एक महत्वपूर्ण खंड का उद्घाटन किया है। उद्घाटन के साथ, कश्मीर आखिरकार पूरे भारत से सभी मौसमों में चलने वाली भारतीय रेलवे लाइन से जुड़ गया है। यह 1884 की बात है और जम्मू-कश्मीर राज्य के महाराजा प्रताप सिंह ने अपने प्रधानमंत्री दीवान अनंत राम से ब्रिटिश भारत सरकार को एक पत्र लिखने को कहा। पत्र में उन्होंने अपने राज्य को उपमहाद्वीप में राज के रेल नेटवर्क से जोड़ने का एक दृष्टिकोण प्रस्तावित किया। उनका एक सपना पूरा हुआ, लेकिन विभाजन के कारण वह खो गया। दूसरा कभी कागज से आगे नहीं बढ़ पाया। लेकिन महाराजा ने जिस तीसरे रेल मार्ग का प्रस्ताव रखा और जिस पर प्रारंभिक सर्वेक्षण भी शुरू किया, वह आखिरकार आज, 141 साल बाद, साकार हो गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चेनाब और अंजी खाद पुलों का उद्घाटन किया, जिसके साथ ही लंबे समय से अलग-थलग पड़ी कश्मीर रेल लाइन आखिरकार भारत के राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क में शामिल हो गई। इससे महाराजा का सौ साल पुराना सपना भी पूरा हो गया। महाराजा प्रताप सिंह के परपोते और महाराजा हरि सिंह के पोते विक्रमादित्य सिंह कहते हैं, "रेलवे लाइन परियोजना की परिकल्पना और रूपरेखा सबसे पहले महाराजा प्रताप सिंह के शासनकाल में ही तैयार की गई थी। यह न केवल जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए बहुत गर्व की बात है कि हमारे प्रधानमंत्री इस सपने को साकार करेंगे।"
उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना की शुरुआत 1997 में हुई थी और 272 किलोमीटर लंबी इस परियोजना को पूर्ण रूप से चालू होने में लगभग 28 साल लग गए। जम्मू और उधमपुर के बीच इसका पहला 55 किलोमीटर लंबा खंड अप्रैल 2005 में पूरा हुआ था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल का शुक्रवार को उद्घाटन किया। यह पुल 1,486 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हुआ है।
उत्तर रेलवे के अनुसार, पूरी परियोजना कई चरणों में पूरी और चालू हुई। जम्मू-उधमपुर खंड के खुल जाने के बाद तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने कश्मीर के खंडों पर ध्यान केंद्रित किया और अक्टूबर 2008 में 68 किलोमीटर लंबे अनंतनाग-मझोम रेल लिंक को चालू किया। उत्तरी रेलवे के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘इसके बाद 32 किलोमीटर लंबे मझोम-बारामूला रेल लिंक का संचालन शुरू हुआ। इस खंड पर फरवरी 2009 में ट्रेन सेवाएं शुरू हुईं, जिसके कारण 2009 तक स्थानीय लोगों ने यूएसबीआरएल परियोजना के अंतिम बिंदु यानी बारामूला से अनंतनाग तक ट्रेन यात्रा का लाभ उठाया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि अन्य खंडों पर भी काम जारी था, इसलिए रेलवे अक्टूबर 2009 के अंत तक अनंतनाग से जम्मू की ओर काजीगुंड तक ट्रेन सेवा का विस्तार करने में सक्षम रहा।’’ रेलवे ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की जब उसने जून 2013 में काजीगुंड से बनिहाल तक ट्रेन सेवाओं का विस्तार किया, जिसमें 11.215 किलोमीटर लंबी पीर पंजाल सुरंग का निर्माण शामिल था।
अधिकारी ने बताया, ‘‘लगभग एक साल बाद जुलाई 2014 में जम्मू की ओर से उधमपुर-कटरा लाइन चालू की गई।’’ रेलवे के एक सूत्र के अनुसार, ‘‘जब मोदी सरकार सत्ता में आई, तो कश्मीर की तरफ बारामूला से बनिहाल और दूसरी तरफ कटरा से जम्मू तक रेल सेवाएं चालू थीं। कश्मीर को देश के रेल नेटवर्क पर लाने के लिए बनिहाल से कटरा तक की कड़ी को जोड़ना और उसे चालू करना जरूरी था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार ने बनिहाल से कटरा तक की संपर्क सेवा दो चरणों में पूरी की। सबसे पहले फरवरी 2024 में बनिहाल से संगलदान और फिर छह जून 2025 को संगलदान से कटरा तक की संपर्क सेवा चालू की गई, जिससे ये कड़ी पूरी हो गई।’’ उत्तर रेलवे ने कहा कि बनिहाल से कटरा खंड में चिनाब एवं अंजी पुल तथा कुछ सबसे मुश्किल और सबसे लंबी सुरंगें हैं।