Matrubhoomi: जन गण मन कैसे बना भारत का राष्ट्रगान, क्या है इसका शाब्दिक अर्थ

By अभिनय आकाश | Mar 14, 2022

राष्ट्रगान ऐसा गीत जो किसी भी देश के इतिहास और परंपरा को दर्शाता है। उस देश को उसकी पहचान का अहसास कराता है। हर देशवासी को अपने राष्ट्रगान से प्यार होता है। हम जब कभी अपने देश भारत के राष्ट्रगान को सुनते हैं तो हमारे मन में देशभक्ति का भाव खुद ब खुद ही आ जाता है। ये तो सभी को मालूम होगा कि देश का राष्ट्रगान रविंद्रनाथ टैगोर ने लिखा था। साल 1911 में सबसे पहले इसे नोबल पुरस्कार विजेता रविंद्रनाथ टैगोर ने बंगाली भाषा में लिखा था। जन गण मन के हिंदी संस्करण को भारतीय संविधान सभी द्वारा 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गान के रूप में स्वीकृति प्रदान की गई। सबसे पहले जन गन मन को पहली बार 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था। आज आपको बताते हैं राष्ट्रगान का रोचक तथ्य और इसका शाब्दिक अर्थ क्या है।  

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वंदे मातरम क्यों नहीं बन सका राष्ट्रगान

भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम को भी राष्ट्रगान बनाने की बात कही जा रही थी। लेकिन उसे राष्ट्रीय गीत बनाया गया। जिसके पीछे ये तर्क दिया गया कि इसकी चार लाइन ही देश को समर्पित हैं। बाद की लाइने बंगाली भाषा में हैं और मां दुर्गा की स्तुति की गई है। किसी भी ऐसे गीत को राष्ट्रगान बनाना उचित नहीं समझा गया जिसमें देश का न होकर किसी देवी-देवता का जिक्र हो। इसलिए वंदे मातरम को राष्ट्रगान ना बनाकर राष्ट्रगीत बनाया गया। 

भारत के राष्ट्रगान के बारे में जानने योग्य 10 बातें

भारत का राष्ट्रगान 'जन गण मन' कवि और नाटककार रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था। 

भारत के राष्ट्रगान की पंक्तियाँ रवींद्रनाथ टैगोर के गीत 'भारतो भाग्य बिधाता' से ली गई हैं।

मूल बांग्ला में लिखा गया था और पूरे गीत में 5 छंद हैं। पाठ पहली बार 1905 में तत्वबोधिनी पत्रिका के एक अंक में प्रकाशित हुआ था।

1911 में  27 दिसंबर को कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा आयोजित अधिवेशन पहला स्थान बना, जहाँ गीत सार्वजनिक रूप से गाया गया था और टैगोर ने इसे स्वयं गाया था।

28 फरवरी 1919 को टैगोर ने पूरे बंगाली गीत की एक अंग्रेजी व्याख्या लिखी, और इसका शीर्षक 'द मॉर्निंग सॉन्ग ऑफ इंडिया' रखा।

राष्ट्रगान को पूरा गाने में 52 सेकेंड का समय लगता है जबकि इसके संस्‍करण को चलाने की अवधि लगभग 20 सेकंड है।

24 जनवरी 1950 को (26 तारीख को भारत के पहले गणतंत्र दिवस से पहले), टैगोर के "भारतो भाग्य बिधाता" के पहले छंद को आधिकारिक तौर पर भारत की संविधान सभा द्वारा भारत के राष्ट्रीय गान के रूप में घोषित किया गया था।

राष्ट्रगान के चयन में सुभाष चंद्र बोस की अहम भूमिका थी। इसके बाद उन्होंने टैगोर के मूल, हिंदी और उर्दू शब्दों के साथ गीत का एक और संस्करण, जिसे 'शुभ सुख चैन' कहा जाता है से रूपांतरित किया।

कलाकार मकबूल फ़िदा हुसैन ने एक कलाकृति बनाई, जिसका शीर्षक राष्ट्रगान 'भारत भाग्य विधाता' की पंक्तियों से लिया गया है। 

कुछ कार्यक्रमों के अवसरों पर गान की केवल उद्घाटन और समापन पंक्ति को छोटे संस्करण के रूप में गाया जाता है। 

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राष्ट्रगान का शाब्दिक अर्थ

हे भारत के जन गण और मन के नायक आप भारत के भाग्य विधाता हैं। वो भारत जो पंजाब, सिंध, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडप, उड़ीया और बंगाल जैसे प्रदेश से बना है। जहां विध्यांचल तथा हिमाचल जैसे पर्वत हैं। युमना-गंगा जैसी नदियां हैं। जिनकी तरंगे उच्छश्रृंखल होकर उठती हैं। आपका शुभ नाम लेकर ही प्रात: उठते हैं। आपके आशीर्वाद की याचना करते हैं। आप हम सभी जनों का मंगल करने वाले हैं। आपकी जय हो। सभी आपकी ही जय की गाथा गायेंगे। हे! जन और गण का मंगल करने वाले आपकी जय हो। आप भारत के भाग्य विधाता हैं। आपकी जय हो, जय हो, जय हो। जय, जय, जय, जय हो। 

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