बच्चे को अपहरण से बचाने के लिए कुछ बेहद जरूरी टिप्स

By शुभा दुबे | May 02, 2018

दिल्ली से सटे गाजियाबाद की एक हाउसिंग सोसायटी की एक बच्ची अपनी समझदारी को लेकर आजकल चर्चा में है। दरअसल जब वह सोसायटी परिसर में ही खेल रही थी तभी एक अनजान व्यक्ति उसके पास आया और उससे कहा कि उसके पिता का एक्सीडेंट हो गया है और वह उसे उनके पास ले जा सकता है। यह सुनकर वह बच्ची घबराई नहीं और उलटा उस व्यक्ति से सवाल पूछा कि मेरे पिता का कोड वर्ड बताओ तभी तुम्हारे साथ चलूँगी। यह सुनकर वह व्यक्ति सकपका गया। इसके अलावा भी उस लड़की ने उस व्यक्ति से कई और सवाल कर दिये जिसका जवाब वह नहीं दे पाया। दरअसल बच्ची के माता-पिता ने उसे बताया था कि यदि कोई अनजान व्यक्ति तुम्हें हमारे नाम पर कहीं ले जाने की बात करे तो पहले हमारा कोड वर्ड पूछना तभी जाना। माता-पिता ने बच्ची को अपना कोड वर्ड बताया हुआ था। इस बच्ची ने और उसके माता-पिता ने जो समझदारी दिखाई वह काबिले तारीफ है।

आजकल बच्चियों के अपहरण और उनके साथ दुराचार की घटनाएँ तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में हर माता-पिता को चाहिए कि वह अपनी बच्चियों की सुरक्षा के लिए कुछ प्रयास अपने स्तर पर भी करें। यहाँ कुछ टिप्स दिये जा रहे हैं जोकि निश्चित रूप से आपके काम आएँगे।

 

-सबसे पहले तो कोड वर्ड प्रक्रिया आप भी अपना सकते हैं। यह एक सफल उदाहरण है। अपने बच्चे को कोई कठिन कोड वर्ड बताएं जिसका अंदाजा दूसरा कोई आसानी से नहीं लगा सके।

 

-बच्चे को एक बात अच्छी तरह सिखा दें कि विपरीत से विपरीत परिस्थिति में भी घबराना नहीं है। चाहे सामने वाला बड़ी से बड़ी दुर्घटना की खबर दे या बड़े से बड़ा लालच दे उसकी बातों में नहीं आना है।

 

-बच्चे को समझाएँ कि यदि कोई अनजान व्यक्ति कुछ बात बता रहा है तो पहले उसकी पुष्टि करे। यदि बच्चे के पास फोन नहीं है तो आसपास के किसी व्यक्ति से माता-पिता या अन्य रिश्तेदार को फोन लगाने को कहे और वास्तविकता पूछे।

 

-यदि कोई पड़ोसी या अनजान व्यक्ति बच्चे को अपने घर पर बिना माता-पिता से पूछे आने को कहे तो बच्चा इसके लिए तुरंत मना कर दे।

 

-रात को सोते समय बच्चे से यह जरूर पूछें कि आज स्कूल में या बाहर किन-किन लोगों से मुलाकात हुई और क्या-क्या बात हुई। रोज ऐसा करेंगे तो यदि बच्चा आपसे कुछ छिपा भी रहा होगा तो वह बात किसी ना किसी तरह बाहर आ ही जायेगी।

 

-बच्चे के बैग में कोई आई-कार्ड जरूर रखें जिसमें घर का फोन नंबर, मोबाइल नंबर आदि हों।

 

-अपने घर के आसपास के किसी लैंडमार्क के बारे में बच्चे को जरूर रटाएं। कई बार बच्चा इधर उधर हो जाता है और छोटा है तो घर का पता भी नहीं बता पाता लेकिन यदि कोई लैंडमार्क याद होगा तो घर के आसपास पहुँचने पर उसका घर उसे मिल सकता है।

 

-बच्चे को हर समय GPS ट्रैकिंग डिवाइस पहनने के लिए कहें। आजकल इन डिवाइसों में ऐसे फीचर भी आते हैं जिसमें मुश्किल में होने पर बच्चा आपको SMS कर सकता है या कॉल भी कर सकता है। आप भी अपने मोबाइल फोन से यह पता लगा सकते हैं कि GPS ट्रैकिंग डिवाइस पहना आपका बच्चा इस समय कहां पर है।

 

-यदि आपका बच्चा सोशल मीडिया का ज्यादा उपयोग करता है तो सतर्क हो जाएं और यह देखें कि वह कोई ऐसी जानकारी तो शेयर नहीं कर रहा जोकि उसकी सुरक्षा को खतरे में डाल सकती हो।

 

-बच्चे के सोशल मीडिया अकाउंट पर नजर रखने के दौरान यह भी देखें कि उसकी फ्रैंड लिस्ट में कौन-कौन है या उसको कौन-कौन फॉलो करता है। उसके हर फ्रैंड या फॉलोवर के बारे में उससे पूछें। यदि कोई अनजान हो तो उसे फ्रैंड लिस्ट से हटा दें।

 

-बच्चे के व्यवहार में यदि अचानक से परिवर्तन आ रहा है तो सतर्क हो जाएं और उससे प्यार से खुलकर सारी बातें पूछें और उसकी मदद करें।

 

-बच्चे को यह समझा दें कि स्कूल से आते वक्त या किसी अन्य वक्त उसे कोई अनजान व्यक्ति लिफ्ट देने की पेशकश करे तो तुरंत इंकार कर देना चाहिए।

 

-कोई अचानक से सामने आकर कोई गिफ्ट, चॉकलेट या अन्य कोई प्रलोभन दे या फिर कहे कि आज मेरा जन्मदिन है यह ले लीजिए तो तुरंत मना कर देना चाहिए।

 

-अपने आसपास के लोगों से जान पहचान बढ़ाते वक्त ध्यान दें कि उनके घर यदि आपके बच्चे का कोई हमउम्र बच्चा है तो ज्यादा ठीक रहेगा। मुश्किल या किसी संकट के समय में बच्चा वहां भाग कर जा सकता है।

 

-बच्चे को यह भी सिखाएं कि खेलने जाने से पहले वह आपसे अनुमति लेकर जाये और यदि किसी के घर जा रहा है तो बिना अनुमति लेकर कतई नहीं जाये। 

 

-अकसर बच्चे को नानी या किसी अन्य रिश्तेदार के घर पर खुला छोड़ दिया जाता है कि वह आराम से मस्ती करे लेकिन उसकी सुरक्षा का यहां भी उतना ही ध्यान रखें जितना अपने घर पर रखते हैं।

 

-यदि किसी शादी या किसी अन्य समारोह में गये हैं तो सिर्फ लोगों से मिलने में ही नहीं खो जाएं बल्कि अपने बच्चे का भी ध्यान रखें क्योंकि हाल ही में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जब शादी समारोह से अचानक बच्ची गायब हो गयी और दुराचार की शिकार हो गयी।

 

-बच्चे को गुड टच और बैड टच के बारे में पूरी जानकारी दें। इस बारे में झिझकने की जरूरत नहीं है।

 

-स्कूल से आते समय बच्चे को सीधा स्कूल वैन या स्कूल बस में बैठने को कहें। छुट्टी के बाद बच्चा यदि सीधा बस या वैन में नहीं बैठकर आसपास टहलने लगता है या दोस्तों के साथ कुछ खाने या पीने लगता है तो उसकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

 

-छुट्टी के बाद स्कूल प्रशासन से जुड़े लोग क्या यह ध्यान रख रहे हैं कि आपका बच्चा बस या वैन में बैठ गया है या नहीं इसके लिए आप किसी दिन दूर से छिप कर जानकारी जरूर लें।

 

-आप जो कुछ भी बच्चे को सुरक्षा के लिए सिखा रहे हैं या बता रहे हैं यह बात उसे समझ में आ भी रही है या नहीं इसके लिए मॉक ड्रिल भी की जा सकती है।

 

-शुभा दुबे

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