By एकता | Dec 28, 2025
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। त्रिपुरा के 24 वर्षीय एमबीए छात्र एंजेल चकमा की नस्लीय हमले में घायल होने के दो हफ्ते बाद मौत हो गई। इस घटना ने उत्तर-पूर्व भारत के राज्यों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। इस मामले में पुलिस ने अब तक पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
यह घटना 9 दिसंबर की शाम देहरादून के सेलाकुई इलाके के एक स्थानीय बाजार में हुई। एंजेल चकमा और उनका छोटा भाई माइकल चकमा बाजार गए थे, तभी बदमाशों के एक गुट ने उन पर नस्लीय टिप्पणियां शुरू कर दीं। हमलावरों ने उन्हें बार-बार 'चीनी' कहकर चिढ़ाया।
एंजेल के भाई माइकल के अनुसार, एंजेल ने हमलावरों को मजबूती से जवाब देते हुए कहा था, 'हम चीनी नहीं, भारतीय हैं। हमें यह साबित करने के लिए कौन सा सर्टिफिकेट दिखाना होगा?' इस बहस के बाद बदमाशों ने चाकू और अन्य धारदार हथियारों से दोनों भाइयों पर जानलेवा हमला कर दिया।
एंजेल चकमा को गंभीर हालत में ग्राफिक एरा अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 17 दिनों तक जिंदगी की जंग लड़ने के बाद शुक्रवार (26 दिसंबर) को उन्होंने दम तोड़ दिया। उनकी मौत के बाद पुलिस ने मामले में हत्या की धाराएं जोड़ दी हैं।
एसपी प्रमोद कुमार ने बताया कि पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और चश्मदीदों के आधार पर अब तक पांच आरोपियों को पकड़ा है। गिरफ्तार आरोपियों अविनाश नेगी, सूरज खवास और सुमित को जेल भेज दिया गया है। दो आरोपी नाबालिग है, इसलिए उन्हें सुधार गृह भेजा गया है।
पुलिस ने बताया, एक मुख्य आरोपी, जो नेपाल का रहने वाला है, फिलहाल फरार है। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी पर 25,000 रुपये का इनाम घोषित किया है।
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात की है। साहा ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि उन्हें सख्त कार्रवाई का आश्वासन मिला है। उन्होंने पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाते हुए कहा कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा और न्याय सुनिश्चित किया जाएगा।