नए साल 2022 में खूब बजेंगी शहनाइयां, शुभ मुहूर्त की भरमार

By अनीष व्यास | Dec 11, 2021

नए साल 2022 में शादियों के शुभ मुहूर्त की भरमार है। पिछले दो सालों की बात करें तो कोरोना महामारी की वजह से शादियों का सीजन फीका चल रहा था, लेकिन अब कुछ राहत मिलते ही फिर से बैंड-बाजा और बारात का शोर सुनाई देने लगा है। बिना शुभ मुहूर्त के विवाह कार्यक्रम नहीं किए जा सकते हैं। वर्ष में कई मौके आते हैं जब विवाह के कई शुभ मुहूर्त होते हैं वहीं कुछ महीनों तक विवाह के मुहू्र्त ही नहीं होते हैं। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू धर्म में विवाह संपन्न करने के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। बिना शुभ मुहूर्त के विवाह कार्यक्रम नहीं किए जा सकते हैं। वर्ष में कई मौके आते हैं जब विवाह के कई शुभ मुहूर्त होते हैं वहीं कुछ महीनों तक विवाह के मुहू्र्त ही नहीं होते हैं। 

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शादी के लिए शुभ दिन और तिथि 

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि धर्म और ज्योतिष में जिस तरह शादी के लिए शुभ मुहूर्त और शुभ योग बताए गए हैं। उसी तरह शादी करने के लिए शुभ दिन और शुभ तिथियां भी बताई गईं हैं। इन दिन और तिथि में शादी करना बहुत शुभ होता है। इससे दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है। पति-पत्नी के भाग्य में वृद्धि होती है। ज्योतिष के मुताबिक शादी करने के लिए सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को सबसे अनुकूल माना जाता है। जबकि मंगलवार को विवाह के लिए अशुभ माना जाता है। इसी तरह शादी करने लिए द्वितीया तिथि, तृतीया तिथि, पंचमी तिथि, सप्तमी तिथि, एकादशी तिथि और त्रयोदशी तिथि बेहद शुभ होती है। साथ ही शादी के लिए अभिजीत मुहूर्त सबसे शुभ होता है। इसके अलावा गोधुली बेला में शादी करना उत्तम होता है।


आईए विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुंडली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास से जानते है वर्ष 2022 के शुभ मुहूर्तं-


शुभ विवाह मुहूर्त 2022


जनवरी- 22, 23 और 24 जनवरी

फरवरी- 04, 05, 06, 07, 08, 10,18 और 19 फरवरी

अप्रैल- 15, 16, 17, 19, 20, 21, 22, 23, 24 और 27 अप्रैल

मई- 02, 03, 09, 10, 11, 12, 15, 17, 18, 19, 20, 21, 26, 27 और 31 मई

जून- 01, 05, 06, 07, 08, 09, 10, 11, 13, 17, 23 और 24 जून

जुलाई- 04, 06, 07, 08 और 09 जुलाई

नवंबर- 25, 26, 28 और 29 नवंबर 

दिसंबर- 01, 02, 04, 07, 08, 09 और 14 दिसंबर


(कुछ पंचांग में भेद होने के कारण तिथि घट बढ़ सकती है और परिवर्तन हो सकता है।)


इन 3 महीनों में नहीं होगी शादी

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि 2022 में तीन महीने अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में चातुर्मास के कारण एक भी विवाह मुहूर्त नहीं रहेगा। इसके अलावा पूरे साल शादियों के शुभ मुहूर्त की झड़ी लगी हुई है। चातुर्मास में जब भगवान विष्णु क्षीर सागर में चार महीने के लिए योग निद्रा में चल जाते हैं तब विवाह समारोह संपन्न नहीं किए जा सकते हैं। सूर्य जब मेष, वृषभ, मिथुन, वृश्चिक, मकर और कुंभ राशि में गोचर करते हैं तब विवाह के लिए सबसे अनुकूल समय होता है। वहीं जब सूर्य कर्क, सिंह, कन्या, तुला, धनु और मीन राशि में गोचर होते हैं तब विवाह समारोह के लिए समय अच्छा नहीं होता है। सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने पर खरमास शुरू हो जाता है। इसमें विवाह वर्जित माना गया है।


शुक्र-गुरु ग्रह के अस्त होने पर विवाह नहीं होते

भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि विवाह मुहूर्त की गणना करते समय शुक्र तारा और गुरु तारा पर विचार किया जाता है। बृहस्पति और शुक्र के अस्त होने पर विवाह और अन्य मांगलिक कार्यक्रम नहीं किए जाते है। इसलिए, इस दौरान कोई विवाह समारोह नहीं किया जाना चाहिए।

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विवाह मुहूर्त में लग्न का महत्व

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शादी-ब्याह के संबंध में लग्न का अर्थ होता है फेरे का समय। लग्न का निर्धारण शादी की तारीख तय होने के बाद ही होता है। यदि विवाह लग्न के निर्धारण में गलती होती है तो विवाह के लिए यह एक गंभीर दोष माना जाता है। विवाह संस्कार में तिथि को शरीर, चंद्रमा को मन, योग व नक्षत्रों को शरीर का अंग और लग्न को आत्मा माना गया है यानी लग्न के बिना विवाह अधूरा होता है।


क्यों मिलाई जाती है कुंडली

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि रीति-रिवाज और पंचांग के अनुसार विवाह में वर और वधू के बीच दोनों की कुंडलियों को मिलाया जाता है। इस व्यवस्था को कुंडली मिलान या गुण मिलान के नाम से जानते हैं। इसमें वर और कन्या की कुंडलियों को देखकर उनके 36 गुणों को मिलाया जाता है। जब दोनों के न्यूनतम 18 से 32 गुण मिल जाते हैं तो ही उनकी शादी के सफल होने की संभावना बनती है। बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके गुण मिलान में 24 से 32 गुण तक मिलते हैं लेकिन वैवाहिक जीवन बहुत ही दुश्वारियों भरा होता है। इसका मुख्य कारण यह है कि पुरुष-स्त्री दोनों के जीवन का अलग-अलग विश्लेषण करने से पता चलता है।


- डा. अनीष व्यास

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक

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