By अभिनय आकाश | Jul 03, 2025
वाशिंगटन में क्ववाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फिर स्पष्ट किया कि मई में सैन्य संघर्ष के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पर सहमति दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत से बनी थी, न कि किसी व्यापार वार्ता से, जैसा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है। डोनाल्ड ट्रम्प ने कई बार भारत-पाकिस्तान संघर्ष को हल करने के साधन के रूप में व्यापार का उपयोग करने का दावा किया है, जो 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद शुरू हुआ था और 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' के माध्यम से भारत की जवाबी कार्रवाई के साथ बढ़ गया था। भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणी पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने वाशिंगटन डीसी में प्रेस से बात करते हुए कहा कि उस समय जो कुछ हुआ उसका रिकॉर्ड बहुत स्पष्ट था और संघर्ष विराम कुछ ऐसा था जिस पर दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत हुई थी।
क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों - जयशंकर, अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो, ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग और जापान के विदेश मंत्री ताकेशी इवाया द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में सीमा पार आतंकवाद सहित हर प्रकार के आतंकवाद एवं हिंसक अतिवाद के सभी कृत्यों की स्पष्ट निंदा की गई। क्वाड ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की साजिश रचने वालों, उसे अंजाम देने वालों और इसके वित्त पोषकों को बिना किसी देरी के न्याय के कठघरे में लाने का आह्वान किया तथा संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से इस संबंध में सहयोग बढ़ाने की अपील की। 22 अप्रैल को हुए इस आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का दृढ़तापूर्वक समर्थन किया। पहलगाम हमले में 26 लोग मारे गए थे।
संयुक्त बयान में कहा गया कि हम इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, इसे अंजाम देने वालों और वित्तपोषकों को बिना किसी देरी के न्याय के कठघरे में लाने का आह्वान करते हैं तथा संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों से आग्रह करते हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के तहत अपने दायित्वों के अनुसार इस संबंध में सभी संबंधित प्राधिकारों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करें।’’ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रेस वक्तव्य में पहलगाम हमले की निंदा की गई और सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य को अंजाम देने वालों, वित्तपोषकों एवं प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर बल दिया। इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में स्पष्ट किया था कि भारत ने इस आंतकी हमले का करारा जवाब दिया है और भविष्य में भी ऐसे किसी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत अब केवल सहन नहीं करता बल्कि जवाबी कार्रवाई की नीति पर काम करता है।