प्रिय नरेंद्र के दोस्त के पास जिनपिंग, यूरोप में कमजोर होती पकड़ के बीच चीनी राष्ट्रपति मैक्रों से क्या करेंगे मिन्नत?

By अभिनय आकाश | May 02, 2024

भारत का डंका दुनिया में कुछ इस तरह से बज रहा है कि अब चीन को फ्रांस और यूरोप का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है। उसे ये भी कहना पड़ रहा कि वो यूरोपीयन यूनियन में उसके लिए पैरवी कर दे। ये अपील चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की यूरोपीय यात्रा से कुछ दिन पहले आई है।  ये अपील चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने फ्रांस के राष्ट्रपति के राजनीति सलाहकार इमैनुएल बोने के साथ फोन पर की है। चीन के विदेश मंत्रालय के अनुसार वांग यी ने टेलीफोन पर बातचीत में कहा कि मुझे उम्मीद है कि फ्रांसिसी पक्ष यूरोपीयन यूनियन में चीन के प्रति सकारात्मक नीति जारी रखने के लिए दवाब डालेगा। बीजींंग और पेरिस ने स्वतंत्रता और स्वायत्ता को पीछा करते हुए दुनिया के विभाजनों के टकराव का विरोध किया। अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों देशों से एक साझा आवाज की उम्मीद करता है। ऐसे में समय में जब अंतरराष्ट्रीय स्थिति जटिल और अस्थिर है।कई चुनौतियों के साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उम्मीद है कि चीन और फ्रांस शांति, स्थिरता, मानव जाति के समृद्ध भविष्य संबंधित मुद्दों पर एकमत रुख बनाएंगे। 

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चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अगले सप्ताह फ्रांस, सर्बिया और हंगरी का दौरा करेंगे। बीजिंग रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष में एक बड़ी भूमिका चाहता है जिसने वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक सुरक्षा को प्रभावित किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने ब्रीफिंग में कहा कि चीन के राष्ट्रपति और सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख शी की यात्रा पांच साल में उनकी पहली यूरोप यात्रा है और यह दुनिया के शांतिपूर्ण विकास को नई गति प्रदान करेगी। चीन यूक्रेन संघर्ष में तटस्थता का दावा करता है, लेकिन फरवरी 2022 में यूक्रेन पर मॉस्को के हमले से पहले शी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की कि उनकी सरकारों के बीच कोई सीमा नहीं दोस्ती है। 

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यूरोप के देशों में चीन का दबदबा पूरी तरह से घटता जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह भारत है। इसकी सबसे बड़ी बात है कि भारत जब किसी भी देश के साथ व्यापार करता है तो उसे अपना दोस्त बना लेता है। फ्रांस और भारत की दोस्ती इसका जीता जागता प्रमाण है। चीन दुनिया के देशों से व्यापार के नाम पर उन्हें चूना लगाना जानता है। उसकी पोल दुनिया के सामने अब खुल चुकी है। लेकिन खुद जिनपिंग फ्रांस जाकर संबंध सुधारने की कोशिश में कुछ भी कर गुजरने को तैयार नजर आ रहे हैं।  

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