मानवरहित टैंक, पोत, रोबोटिक हथियारों पर काम कर रहा है भारत

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 20, 2018

नयी दिल्ली। एक महत्वाकांक्षी रक्षा परियोजना के तहत सरकार ने रक्षा बलों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के इस्तेमाल पर काम करना शुरू कर दिया है। परियोजना का मकसद सुरक्षा बलों को मानव रहित टैंक, पोत, हवाई यानों और रोबोटिक हथियारों से लैस करते हुए उनकी अभियान संबंधी तैयारी को महत्वपूर्ण तरीके से बढ़ाना है। परियोजना अपनी सेना के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के व्यापक इस्तेमाल की खातिर चीन के बढ़ते निवेश के बीच देश की थल सेना, वायु सेना और नौसेना को भविष्य के युद्धों के लिहाज से तैयार करने की एक व्यापक नीतिगत पहल का हिस्सा है। रक्षा सचिव (उत्पादन) अजय कुमार ने कहा कि सरकार ने रक्षा बलों के तीनों अंगों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की शुरूआत करने का फैसला किया है क्योंकि यह भविष्य के युद्धों की जरूरत को देखते हुए एक ‘‘अहम क्षेत्र’’ होगा। 

 

उन्होंने कहा कि टाटा सन्स के प्रमुख एन चंद्रशेखरन की अध्यक्षता वाला एक उच्च स्तरीय कार्यबल परियोजना की बारीकियों एवं संरचना को अंतिम रूप दे रहा है। सशस्त्र बल और निजी क्षेत्र ‘‘ भागीदारी के मॉडल ’’ के तहत परियोजना को कार्यान्वित करेंगे। कुमार ने कहा, ‘‘यह अगली पीढ़ी के युद्ध के लिए भारत की तैयारी है। भविष्य आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का ही है। हमें अगली पीढ़ी के युद्ध के लिए खुद को तैयार करने की जरूरत है जो ज्यादा से ज्यादा तकनीक आधारित, स्वचालित और रोबोटिक प्रणाली पर आधारित होगी।’’ उन्होंने बताया कि दूसरी विश्व शक्तियों की ही तरह भारत ने भी अपने सशस्त्रों बलों की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल को लेकर काम करना शुरू कर दिया है। कुमार ने कहा कि मानव रहित हवाई यान , मानव रहित पोत एवं मानव रहित टैंक और हथियार प्रणाली के रूप में स्वचालित रोबोटिक रायफल का भविष्य के युद्धों में व्यापक इस्तेमाल होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमें इनके लिए क्षमताओं का निर्माण करने की जरूरत है। ’’सैन्य सूत्रों ने कहा कि परियोजना में रक्षा बलों के तीनों अंगों के लिए मानवरहित प्रणालियों की व्यापक श्रृंखला का उत्पादन भी शामिल होगा। 

 

उन्होंने बताया कि रक्षा बल दूसरी शीर्ष विश्व सैन्य शक्तियों की तरह ही अपनी अभियान संबंधी तैयारी में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के व्यापक इस्तेमाल पर मजबूती से जोर दे रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि चीन एवं पाकिस्तान से लगी देश की सीमाओं की निगरानी में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल से संवेदनशील सीमाओं की सुरक्षा में लगे सशस्त्र बलों पर दबाव महत्वपूर्ण रूप से कम हो सकता है। चीन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस अनुसंधान एवं मशीनों से जुड़े अध्ययन में अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है। पिछले साल उसने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस संबंधी नवोन्मेष के लिहाज से देश को 2030 में दुनिया का केंद्र बनाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और यूरोपीय संघ भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में काफी निवेश कर रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कुशल मशीनों के निर्माण से जुड़े कंप्यूटर विज्ञान का क्षेत्र है। 

 

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