By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 25, 2021
नयी दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछले साल लद्दाख में चीनी सेना की कार्रवाई को उसकी विस्तारवादी ‘‘गतिविधि’’ करार दिया और कहा कि भारत शांति के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन भारतीय सुरक्षा बल किसी भी ‘‘दुस्साहस’’को विफल करने के लिए पूरी तैयारी के साथ तैनात हैं। उन्होंने 72वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए आश्वस्त किया,‘‘प्रत्येक परिस्थिति में, अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के लिए हम पूरी तरह सक्षम हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल, कई मोर्चों पर, अनेक चुनौतियां हमारे सामने आईं। हमें, अपनी सीमाओं पर विस्तारवादी गतिविधियों का सामना करना पड़ा। लेकिन हमारे बहादुर सैनिकों ने उन्हें नाकाम कर दिया।’’ इस घटना में बलिदान देने वाले भारतीय जवानों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि देशवासी उन ‘‘अमर जवानों’’ के प्रति कृतज्ञ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि हम शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर अटल हैं, फिर भी हमारी थल सेना, वायु सेना और नौसेना - हमारी सुरक्षा के विरुद्ध किसी भी दुस्साहस को विफल करने के लिए पूरी तैयारी के साथ तैनात हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लद्दाख में स्थित, सियाचिन व गलवान घाटी में, माइनस 50 से 60 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान में, सब कुछ जमा देने वाली सर्दी से लेकर, जैसलमर में, 50 डिग्री सेन्टीग्रेड से ऊपर के तापमान में, झुलसा देने वाली गर्मी में - धरती, आकाश और विशाल तटीय क्षेत्रों में - हमारे सेनानी भारत की सुरक्षा का दायित्व हर पल निभाते हैं। हमारे सैनिकों की बहादुरी, देशप्रेम और बलिदान पर हम सभी देशवासियों को गर्व है।’’
उन्होंने कहा कि इसी आत्म-विश्वास के साथ भारत ने कई क्षेत्रों में बड़े कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पूरी गति से आगे बढ़ रहे हमारे आर्थिक सुधारों के पूरक के रूप में, नए क़ानून बनाकर, कृषि और श्रम के क्षेत्रों में ऐसे सुधार किए गए हैं जो लम्बे समय से अपेक्षित थे। आरम्भ में इन सुधारों के विषय में आशंकाएं उत्पन्न हो सकती हैं। परंतु इसमें कोई संदेह नहीं है कि किसानों के हित के लिए सरकार पूरी तरह समर्पित है।’’ ज्ञात हो कि आंदोलनरत किसानों से सरकार की 11 दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन अभी तक समाधान नहीं हो सका है। किसान गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में ट्रैक्टर परेड निकालने वाले हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आरम्भ में, इन सुधारों के विषय में आशंकाएं उत्पन्न हो सकती हैं। परंतु, इसमें कोई संदेह नहीं है कि किसानों के हित के लिए सरकार पूरी तरह समर्पित है।’’ कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘बंधुता’’ के संवैधानिक आदर्श के बल पर ही इस संकट का प्रभावी ढंग से सामना करना संभव हो सका। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि अनेक देशों के लोगों की पीड़ा को कम करने और महामारी पर काबू पाने के लिए दवाएं तथा स्वास्थ्य-सेवा के अन्य उपकरण विश्व के कोने-कोने में उपलब्ध कराने के लिए भारत को आज ‘‘फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड’’ कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना की लगभग एक वर्ष की ‘‘अप्रत्याशित अग्नि-परीक्षा’’ के बावजूद भारत हताश नहीं हुआ बल्कि ‘‘आत्म-विश्वास’’ से भरपूर होकर उभरा है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में भारत का प्रभाव-क्षेत्र और अधिक विस्तृत हुआ है तथा इसमें विश्व के व्यापक क्षेत्र शामिल हुए हैं। जिस असाधारण समर्थन के साथ इस वर्ष भारत ने अस्थायी सदस्य के रूप में सुरक्षा-परिषद में प्रवेश किया है वह, इस बढ़ते प्रभाव का सूचक है।’’ उन्होंने कहा कि विश्व-स्तर पर राजनेताओं के साथ भारत के सम्बन्धों की गहराई कई गुना बढ़ी है और अपने जीवंत लोकतन्त्र के बल पर उसने एक जिम्मेदार और विश्वसनीय राष्ट्र के रूप में अपनी साख बढ़ाई है। वैज्ञानिक समुदाय के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि खाद्य सुरक्षा, सैन्य सुरक्षा, आपदाओं तथा बीमारी से सुरक्षा एवं विकास के विभिन्न क्षेत्रों में उन्होंने अपने योगदान से राष्ट्रीय प्रयासों को शक्ति दी।
उन्होंने कहा, ‘‘आत्मनिर्भर भारत अभियान एक जन-आंदोलन का रूप ले रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह अभियान हमारे उन राष्ट्रीय संकल्पों को पूरा करने में भी सहायक होगा जिन्हें हमने नए भारत की परिकल्पना के तहत देश की आजादी के 75वें वर्ष तक हासिल करने का लक्ष्य रखा है। हर परिवार को बुनियादी सुविधाओं से युक्त पक्का मकान दिलाने से लेकर, किसानों की आय को दोगुना करने तक, ऐसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों की तरफ बढ़ते हुए हम अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ के ऐतिहासिक पड़ाव तक पहुंचेंगे। नए भारत के समावेशी समाज का निर्माण करने के लिए हम शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषाहार, वंचित वर्गों के उत्थान और महिलाओं के कल्याण पर विशेष बल दे रहे हैं।’’ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन और विचारों को याद करते हुए कोविंद ने कहा कि हर सम्भव प्रयास करना है कि समाज का एक भी सदस्य दुखी या अभावग्रस्त न रह जाए। समता को भारतीय गणतंत्र के ‘‘महान यज्ञ का बीज मंत्र’’ बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सामाजिक समता का आदर्श प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा सुनिश्चित करता है, जिसमें ग्रामवासी, महिलाएं, अनुसूचित जाति व जनजाति सहित अपेक्षाकृत कमजोर वर्गों के लोग, दिव्यांग-जन और वयो-वृद्ध, सभी शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आर्थिक समता का आदर्श, सभी के लिए अवसर की समानता और पीछे रह गए लोगों की सहायता सुनिश्चित करने के हमारे संवैधानिक दायित्व को स्पष्ट करता है। सहानुभूति की भावना परोपकार के कार्यों से ही और अधिक मजबूत होती है। आपसी भाईचारे का नैतिक आदर्श ही, हमारे पथ प्रदर्शक के रूप में, हमारी भावी सामूहिक यात्रा का मार्ग प्रशस्त करेगा।