By नीरज कुमार दुबे | May 05, 2025
भारत और पाकिस्तान के बीच मंडराते युद्ध के खतरे को लेकर कई पूर्व सैन्य अधिकारी और विशेषज्ञ अपनी अपनी तरह से चिंताएं व्यक्त कर रहे हैं। दरअसल 2019 में पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय वायुसेना की एअर स्ट्राइक के बाद से दोनों देशों ने अपनी सैन्य क्षमता में काफी वृद्धि की है। इसलिए विशेषज्ञों को लग रहा है कि कोई सीमित संघर्ष भी व्यापक युद्ध में तब्दील हो सकता है। हम आपको याद दिला दें कि दोनों देश 1948, 1965 और 1971 में युद्ध लड़ चुके हैं। इसके अलावा कश्मीर को लेकर दोनों के बीच कई बार सैन्य और असैन्य टकराव भी हो चुके हैं। 1990 के दशक में दोनों देश परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र बन गए थे और तभी से दक्षिण एशिया दुनिया के सबसे खतरनाक क्षेत्रों में से एक माना जाता है।
पाकिस्तान लगातार भारत को परमाणु बम से हमले की धमकी दे रहा है लेकिन सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक अत्यधिक मजबूरी नहीं हो, तब तक कोई भी देश परमाणु हथियार का उपयोग नहीं करता लेकिन इसका खतरा अवश्य बना रहता है। सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि इस बार हमला संभवतः विमानों, मिसाइलों या ड्रोन के ज़रिये होगा, जिनमें भारत और पाकिस्तान की क्षमताएं काफी हद तक बराबर हैं। विश्लेषकों का यह भी कहना है कि यदि संघर्ष लंबा चलता है तो यह भारत के हित में होगा क्योंकि संसाधन अधिक होने के कारण वह लंबी अवधि तक इनका उपयोग कर पायेगा। विश्लेषकों का यह भी कहना है कि हर पक्ष सोच रहा है कि वे पिछली बार की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं लेकिन असल जंग में ही असली स्थिति पता चल सकेगी।
हम आपको बता दें कि भारत को 2019 में पुराने रूसी विमानों पर निर्भर रहना पड़ा था। मगर अब देश ने फ्रांस से 36 राफेल फाइटर जेट्स वायुसेना के बेड़े में शामिल किए हैं तथा नौसेना के लिए और भी विमानों का ऑर्डर दिया गया है। इसके जवाब में पाकिस्तान ने 2022 से चीन के सबसे आधुनिक लड़ाकू विमानों में से एक, J-10 प्राप्त किया है, जो राफेल का तुलनात्मक समकक्ष माना जाता है। अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक अध्ययन संस्थान की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के पास कम से कम 20 J-10 विमान हैं। बताया जाता है कि ये विमान उन्नत क्षमताओं से लैस हैं। हम आपको बता दें कि राफेल में 'मेटेओर' एयर-टू-एयर मिसाइल लगी होती है, जो दृश्य सीमा से बाहर भी मार कर सकती है। इसी प्रकार J-10 में इसी तरह की PL-15 मिसाइल लगी होने की बात मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से सामने आई है। हम आपको यह भी बता दें कि 2019 की लड़ाई में सामने आई हवाई सुरक्षा की खामियों को दूर करने के लिए भारत ने रूस की S-400 मोबाइल एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल प्रणाली प्राप्त की है जबकि पाकिस्तान ने चीन से HQ-9 प्रणाली हासिल की है जोकि रूस की S-300 प्रणाली पर आधारित है।
विश्लेषकों का यह भी कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले किसी भी संघर्ष पर चीन का प्रभाव बना रहेगा, जो भारत का प्रतिद्वंद्वी और पाकिस्तान का करीबी सहयोगी और उसका सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है। इसके अलावा, भले अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान दोनों से तनाव कम करने का आग्रह किया है, लेकिन वह दोनों देशों के बीच किसी भी संघर्ष को चीन की सैन्य क्षमता की जांच के रूप में देखना चाह रहा है। अमेरिका ऐसा इसलिए चाहता है क्योंकि चीनी विमान और उसकी PL-15 मिसाइल को अब तक युद्ध में नहीं परखा गया है। इसलिए भले युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ा जायेगा मगर असल में यह पश्चिमी और चीनी तकनीक के बीच मुकाबला हो सकता है। विश्लेषकों का यह भी कहना है कि भारत के लिए एक चुनौती यह भी रहेगी कि वह कितने स्क्वाड्रन पाकिस्तान सीमा पर तैनात करे और कितने चीन सीमा पर, क्योंकि उसे ड्रैगन से भी खतरा है। हम आपको याद दिला दें कि भारत और चीन ने 1962 में युद्ध लड़ा था और 2022 में दोनों देशों की सेनाएं पूर्वी लद्दाख सीमा पर भिड़ी थीं।
विश्लेषकों का यह भी अनुमान है कि ड्रोन या ज़मीन से लॉन्च की गई मिसाइल से हमला होने की संभावना ज्यादा है क्योंकि इनमें पायलट के पकड़े जाने का खतरा नहीं होता। जहां तक दोनों देशों की मिसाइल और सैन्य ड्रोन क्षमता में ताजा वृद्धि की बात है तो आपको बता दें कि भारत ने इजराइल से लड़ाकू ड्रोन हेरोन मार्क 2 प्राप्त किया है और अमेरिका से प्रीडेटर ड्रोन खरीदने का ऑर्डर दिया है। दूसरी ओर पाकिस्तान ने तुर्की से बायरेक्टर TB2 और अकिंजी ड्रोन हासिल किए हैं, जो रूस-यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल हो चुके हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान ने शनिवार को 450 किमी की दूरी तक मारक क्षमता और सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया। पाकिस्तान ने आज ‘एक्स इंद्र’ अभ्यास के तहत 120 किलोमीटर रेंज की सतह से सतह पर मार करने वाली 'फतह' सीरीज़ की मिसाइल का सफल प्रशिक्षण प्रक्षेपण करने का भी दावा किया है। वहीं भारत की क्षमताओं में 300 किमी रेंज वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल और लंबी दूरी की अग्नि श्रृंखला की अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें शामिल हैं।
बहरहाल, हम आपको याद दिला दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 की झड़प के बाद कहा था कि देश को उस समय राफेल की कमी खली थी। उन्होंने संकेत दिया था कि अगर फ्रांसीसी फाइटर होते तो नतीजा और अलग हो सकता था। इसलिए माना जा सकता है कि इस बार कमाल दिखाने का अवसर राफेल को दिया जा सकता है। कांग्रेस के नेता बार-बार राफेल पर सवाल उठाते हुए पूछ रहे हैं कि उस पर से नींबू मिर्ची कब हटेगी? माना जा रहा है कि राफेल की युद्धक क्षमता दिखा कर पाकिस्तान के साथ-साथ कांग्रेस को भी जवाब देने की तैयारी है। हम आपको याद दिला दें कि कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनावों में राफेल खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप लगा कर मोदी सरकार को घेरना चाहा था लेकिन उसमें उसे सफलता नहीं मिली थी। बहरहाल, आइये देखते हैं दोनों देशों के बीच चल रहे तनाव के परिणामों के बारे में जम्मू कश्मीर पुलिस के पूर्व डीजीपी एसपी वैध क्या अनुमान लगा रहे हैं।