By नीरज कुमार दुबे | Jul 08, 2023
भारत सरकार तीनों सेनाओं का स्वदेशीकरण और आधुनिकीकरण तो तेजी से कर ही रही है साथ ही तीनों सेनाओं को हर परिस्थिति के लिए सदैव पूर्ण रूप से तैयार रखने के लिए भी तमाम तरह के युद्धाभ्यास किये जा रहे हैं। यह युद्धाभ्यास हमारी सेनाएं खुद से भी कर रही हैं, दूसरे देश के साथ भी कर रही हैं और कई देशों के साथ भी मिलकर कर रही हैं। इस क्रम में इस समय पूर्वी लद्दाख में हमारी सेनाओं का जोरदार युद्धाभ्यास चल रहा है। सर्दियों से पहले किया जा रहा युद्धाभ्यास इस मायने में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में खबरें आई थीं कि चीन अपनी ओर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में जुटा हुआ है। भारत ने भी मई 2020 में गलवान में हुए संघर्ष के बाद से अपने बुनियादी ढाँचे को मजबूत किया है, रक्षा साजो-सामान की आपूर्ति बढ़ाई है और कुछ जगहों से चीन के सैनिकों के पीछे हटने के बावजूद निगाहें सतर्क बनाये हुए है।
चुनौतियों से निबटने के लिए अभ्यास
इस समय जो युद्धाभ्यास चल रहा है वह न्योमा में चल रहा है। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित न्योमा भारत के लिए सामरिक और रणनीतिक रूप से काफी महत्व रखता है। न्योमा में भारतीय वायुसेना के विमानों की गर्जना और भारतीय सेना के टैंकों की धड़धड़ाहट से यकीनन चीन की धड़कन तेज हो गयी होगी। यहां भारतीय सेना के टैंक और लड़ाकू वाहनों को पूर्वी लद्दाख में सिंधु नदी पार करने का अभ्यास करते देखा गया। चीन के साथ चल रहे गतिरोध के बीच न्योमा हवाई क्षेत्र का उपयोग जवानों और सामग्री के परिवहन के लिए भी किया गया। भारतीय वायुसेना की न्योमा से लड़ाकू विमान संचालित करने की क्षमता चीन के किसी भी दुस्साहस से निपटने की हमारी क्षमता को मजबूत करेगी। हम आपको बता दें कि भारत लंबे समय से पूर्वी लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी, फुकचे और न्योमा में हवाई क्षेत्र विकसित करने के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रहा है।
भारतीय सेना हर परिस्थिति के लिए तैयार
पूर्वी लद्दाख में इस समय सेना की तैयारी कैसी है, यदि इस पर चर्चा करें तो आपको बता दें कि भारतीय सेना के जवानों को वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास लद्दाख के न्योमा में आधुनिक हथियारों के साथ अग्रिम ठिकानों पर तैनात किया गया है। दुश्मन के बुरे इरादों को भाँपते ही हमारे जवान अपने आधुनिक हथियारों से उसे पल भर में ढेर कर सकते हैं। इसके अलावा, यहाँ सीमा की रक्षा के लिए भारतीय सैनिकों को अमेरिकी सिग सॉयर 716 असॉल्ट राइफल्स और स्विस एमपी-9 पिस्टल गन दी गयी हैं।
क्यों महत्वपूर्ण है न्योमा?
जहाँ तक न्योमा क्षेत्र की बात है तो आपको बता दें कि भारत के लिए सामरिक लिहाज से यह क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है। न्योमा चीन सीमा के करीब भारतीय सशस्त्र बलों के लिए केंद्रबिंदु के समान है। भारतीय वायुसेना की ओर से यहाँ बड़े विमानों और लड़ाकू विमान के लिए एडवांस लैंडिंग ग्राउंड तैयार किए गये हैं। भारत ने यह तैयारी एलएसी के पार चीन द्वारा अपना बुनियादी ढांचा बढ़ाने की कोशिशों के बीच जवाबी कार्रवाई के तौर पर की है। हम आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी, फुक्चे व न्योमा में एडवांस लैंडिंग ग्राउंड को लगातार बेहतर से बेहतर बना रही है ताकि भावी चुनौतियों का सामना करने में आसानी हो। देखा जाये तो न्योमा इलाके में भारतीय वायुसेना के लिए एडवांस लैंडिंग ग्राउंड बहुत महत्व रखते हैं। नियंत्रण रेखा के पास होने के कारण यह रणनीतिक रूप से अहम हैं। इससे लेह से वास्तविक नियंत्रण रेखा तक पहुंचने की दूरी कम हो जाती है। हम आपको यह भी बता दें कि पूर्वी लद्दाख में अपाचे, चिनूक हेलीकाप्टर, सी-130जे सुपर हरक्यूलिस ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, गरुड़ व एमआई-17 एस हेलीकाप्टर और राफेल लड़ाकू विमान आदि दुश्मन पर कहर बरपाने को तैयार हैं। खास बात यह है कि अपाचे हेलीकॉप्टर काफी नीचे उड़ान भरने में भी सक्षम है। चीन सीमा के नजदीक अपाचे की यह खूबी भारतीय सुरक्षा बलों के लिए काफी काम आ सकती है।