राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर अवश्य जाएं और देश के लिए शहादत देने वालों को नमन करें

By प्रीटी | Oct 08, 2022

राष्ट्रीय समर स्मारक की मांग कई दशकों से हो रही थी लेकिन इसे पूरा किया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने। 2014 में राष्ट्रीय समर स्मारक बनाने के लिए प्रक्रिया शुरू की गयी और 2019 में इसका लोकार्पण किया गया। राष्ट्रीय समर स्मारक बनने से पहले तक इंडिया गेट पर स्थित अमर जवान ज्योति पर ही देश के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी जाती थी। लेकिन जब राष्ट्रीय समर स्मारक बना तो रक्षा बलों के राष्ट्र के लिये किये गये योगदान को सराहने वाली इस पहल का देश ने भरपूर स्वागत किया। इस साल अमर जवान ज्योति की ज्योति का भी राष्ट्रीय समर स्मारक में विलय कर दिया गया।


राष्ट्रीय समर स्मारक को युद्ध स्मारक के नाम से भी जाना जाता है। यह दिल्ली के इंडिया गेट के आसपास के क्षेत्र में फैला हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को 44 एकड़ में बने नेशनल वॉर मेमोरियल को राष्ट्र को समर्पित किया था। इस मेमोरियल में जाने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। यहां बड़ी संख्या में देश के विभिन्न भागों से तो लोग आते ही हैं साथ ही स्कूली छात्र भी समूहों में आकर हमारे वीर जांबाजों के शौर्य के बारे में जानते हैं। यहां सुंदर बगीचे सबका मन मोह लेते हैं और सुरक्षा बलों के शौर्य से जुड़े प्रतीकों के साथ लोग फोटो खिंचवाते हैं। हालांकि यहां कैमरा ले जाने के कुछ नियम भी हैं। इसके अलावा आप यहां स्थित विक्रय केंद्र से प्रतीक स्वरूप विभिन्न तरह के उत्पाद भी खरीद सकते हैं।

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राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं। इस युद्ध स्मारक में 1947-48 के युद्ध से गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष तक शहीद हुए सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में उन सैनिकों के नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने आतंकवादी विरोधी अभियान में जान गंवाई है। गौरतलब है कि इससे पहले सशस्त्र सेना के शहीद हुए सैनिकों के सम्मान के लिए कोई भी स्मारक नहीं था।


जहां तक अमर जवान ज्योति की बात है तो आपको बता दें कि इंडिया गेट पर बीते 50 साल से अमर जवान ज्योति जल रही थी जिसका इस बार राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही ज्योति में विलय कर दिया गया। इस तरह अब सभी शहीद हुए जवानों को एक ही जगह पर श्रद्धांजलि दी जा रही है। हम आपको बता दें कि अमर जवान ज्योति की स्थापना उन सैनिकों की याद में की गई थी, जो 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए थे। उल्लेखनीय है कि उस युद्ध में भारत ने विजय प्राप्त की थी।


- प्रीटी

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